साल 2014 से चल रहा है रैकेट
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने पुलिस के हवाले से लिखा है कि मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के छह अधिकारियों सहित 9 लोगों को चिन्हित किया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने मेडिकल छात्रों के लिए बड़े पैमाने पर नकल की व्यवस्था कराई है। यह रैकेट साल 2014 से एक्टिव है। इनकी सहायता से 600 से ज्यादा अयोग्य छात्रों ने एमबीबीएस की परीक्षा पास की और राज्य में डाक्टर बने।
छात्रा थी पहले से टार्गेट
एसटीएफ के सुत्रों के मुताबिक, कॉलेज की सेकेंड ईयर की एक छात्रा पहले सी ही टार्गेट पर थी। उसकी सहायता से टीम ने दोनों छात्रों को गिरफ्तारी किया। हालांकि, अभी तक उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है। ये दोनों छात्र 15 मार्च को पेपर खराब होने के बाद छात्रा से मिले थे। सूत्रों के अनुसार, रैकेट के लेग यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के साथ मिलकर छात्रों की आंसर सीट की जगह एक्सपर्ट से लिखवाए गई आंसर सीट को जमा कर देते थे। इसके लिए वह 1 से 1.5 लाख रुपये तक एक छात्र से लेते थे। वहीं, दूसरे प्रोफेशनल कोर्ट के लिए वे 30 से 40 हजार रुपये लेते थे।
एक छात्र के पिता डॉक्टर
जिन दो छात्रों से पूछताछ की जा रही है उनमें आयुष कुमार 21 एक डॉक्टर का बेटा है। उसके पिता गुरुग्राम के एक मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में डॉक्टर है। वह हरियाणा के पानीपत का रहने वाला है। वहीं, दूसरा शख्स 22 साल का स्वर्णजीत सिंह है। वह भी पंजाब के संगूर का रहने वाला है। दोनों ही मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के सेंकेंड ईयर के छात्र है। दोनों को उनके वास्तविक आंसर सीट मिलने के बाद गिरफ्तार किया गया है।
कई और छात्रों के नाम आ सकते हैं सामने
एसटीएफ ने साल 2017 में हुए सेमेस्टर एग्जाम की आंसर सीट को सील कर दिया है। एसटीएफ का कहना है कि इसे स्कैन करने के बाद कुछ और छात्रों के नाम सामने आ सकते है।
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