हलाला के नाम पर मुस्लिम महिलाओं से हो रही ज्यादती के मद्देनजर एक न्यूज चैनल ने स्टिंग अॉपरेशन किया है। इसमें कई काजी, मौलानाओं से बात की गई, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इन लोगों ने हलाला के रेट्स तय किए हुए हैं। एक शख्स तो एक रात के लिए एक महिला का शौहर बनने के लिए उतारू नजर आया। इसके एवज में उसे 50 हजार रुपये दिए जाने की पेशकश की गई थी। इसी को लेकर आज तक न्यूज चैनल पर एक पैनल डिस्कशन हुई। इसमें बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा, इस्लामिक स्कॉलर अतीकुर रहमान, इमाम असोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी, संघ विचारक राकेश सिन्हा, पीड़ित महिला शाजिया शान और दो अन्य पीड़ित रुबिना और रिशा खान शामिल थे। इस दौरान शाजिया खान ने मौलाना साजिद रशीदी से पूछा कि एक लड़के को खरीद कर एक हजार रुपये में उसका हलाला कराया गया था, वो क्या था। इस पर उन्होंने कहा कि यह इस्लाम के तहत हराम है। जिसने भी आपके साथ यह किया है, हम उसे सजा दिलाएंगे। इस पर एंकर अंजना ओम कश्यप ने जानना चाहा कि एेसी महिलाओं को इंसाफ कौन देगा तो उन्होंने कुछ नहीं कहा।
ये उतना ही भद्दा है, जितना सुनने में लगता है कि बड़ी संख्या में मौलवी ऐसी तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उनके साथ एक रात गुजारते हैं, जो इस्लामी कानून के तहत अपनी शादियों को बचाना चाहती हैं. ये खुलासा इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेटिव टीम की जांच से हुआ है।
ये लोग निकाह हलाला की विवादित प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए 20,000 से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक की रकम भी लेते हैं. निकाह हलाला के मुताबिक अगर किसी मुस्लिम महिला का तलाक हो चुका है और वह अपने पति से दोबारा निकाह करना चाहती है, तो उसे पहले किसी और शख्स से शादी कर एक रात गुजारनी होती है. फिर उस दूसरे शख्स से तलाक लेना होता है. ऐसा होने के बाद ही वो अपने पहले पति के साथ दोबारा शादी करके रह सकती है. पर्सनल लॉ में इसी तरह का प्रावधान है
इस मुद्दे पर स्मरण होती है पिताश्री एम.बी.एल.निगम और ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी के साथ हुई एक वार्ता। मीना कुमारी और कमाल के बीच चल रहे मनमुटाव को देखते हुए, एक दिन पिताश्री ने तलाक़ लेकर नयी ज़िन्दगी शुरू करने की जैसे ही बात की मीना जी तुरंत कहा : "निगम बाबू चाहे कुछ भी हो जाए, मैं तलाक़ नहीं लूंगी, क्योकि मै चाहती हूँ, कि मरते वक़्त मै कमाल साहब ही की बीबी कहलाऊँ।" और जब तक पिताश्री बम्बई(मुंबई) रहे, मीना जी कभी कमाल साहब को तलाक़ नहीं दिया। लेकिन पिताश्री के दिल्ली आने उपरान्त घटनाक्रम ऐसा पलटा, कि कमाल साहब ने मीना को तलाक़ दे दिया, और जब उनको अपनी गलती का अहसास हुआ और दोबारा अपनी बेगम बनाने के लिए सलमान के पिता सलीम खान के साथ हलाला करना पड़ा। .जो औरत मरते वक़्त कमाल अमरोही की बेगम बना रहना चाहती हो, उसे इस कुरीति ने एक गलती के कारण किसी और की भी बीबी बनने को मज़बूर कर दिया।
पिताश्री बताते थे कि जब फिल्म पाकीज़ा का महुर्रत हुआ था, तभी पंडितजी ने कमाल को कहा था "कमाल साहब यह पिक्चर हिट होगी, लेकिन आपको घाटा होगा।" और वह घाटा था पति-पत्नी के बीच तनाव। जब तक पिताश्री जीवित रहे, मीना कुमारी की प्रशंसा करते कभी मुँह नहीं दुखा। कुछ महीनो से मीना अपनी मसाज करने वाली का वेतन बढ़ाने के लिए कमाल साहब से बोल चुकी थी, लेकिन कमाल साहब ने कुछ नहीं किया। फिर उन्होंने पिताश्री को बोला कि "शायद कमाल साहब काम में मशरूफ होने की वजह से भूल जाते होंगे, जरा उनको बोलकर दो रूपए उसकी तन्खा में बढ़वा दें। कई माह गुजर गए, कमल साहब अनसुना करते रहे, लेकिन जब अन्य कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि किए जाने पर मसाज वाली का वेतन बढ़ाने की बात को जोर देकर रखे जाने पर, कमाल साहब ने तुरंत कह दिया "निगम बाबू मीना जी बोल दीजिए मसाज करवानी हो करवाए, न करवानी हो न करवाएं, पैसा एक नहीं बढ़ेगा।" लेकिन उस महिला ने अपने शौहर से लेशमात्र भी बगावत नहीं की। जबकि अपनी कमाई का एक पैसा भी अपने पास नहीं रखती थी, रोज़ के हज़ारों रूपए कमाल साहब को देती थी। मेरे पिताश्री ने मीना जी को कमाल साहब के इंतज़ार में खाने की मेज पर कई बार भूखे सोते देखा था। लेकिन वास्तव में जिस औरत के जीवन में ट्रेजेडी ही लिखी हो सुख कहाँ से मिलता। जिसका उल्लेख अपनी पुस्तक "भारतीय फिल्मोद्योग -- एक विवेचन" में किया है।
ये उतना ही भद्दा है, जितना सुनने में लगता है कि बड़ी संख्या में मौलवी ऐसी तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उनके साथ एक रात गुजारते हैं, जो इस्लामी कानून के तहत अपनी शादियों को बचाना चाहती हैं. ये खुलासा इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेटिव टीम की जांच से हुआ है।
ये लोग निकाह हलाला की विवादित प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए 20,000 से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक की रकम भी लेते हैं. निकाह हलाला के मुताबिक अगर किसी मुस्लिम महिला का तलाक हो चुका है और वह अपने पति से दोबारा निकाह करना चाहती है, तो उसे पहले किसी और शख्स से शादी कर एक रात गुजारनी होती है. फिर उस दूसरे शख्स से तलाक लेना होता है. ऐसा होने के बाद ही वो अपने पहले पति के साथ दोबारा शादी करके रह सकती है. पर्सनल लॉ में इसी तरह का प्रावधान है
एक रात का ‘दूल्हा’: शादी बचाने के लिए महिला को अजनबी के साथ गुजारनी पड़ती है रात
आज तक पर आपरेशन हलाला नेटवर्क देख रहा था।चैनल चेंज ही नही कर पाया।कैसे तीन तलाक के बाद अगर वापस अपने पति से शादी करनी है तो मुस्लिम महिला को गैर मर्द के साथ एक रात के सोना होगा।धिक्कार हैं ऐसे हलाला कानून पर।और धिक्कार हैं इसका विरोध न करने वालो पर।अस्सी साल का मौलाना बोल रहा हैं कि अगर उसे 25 हज़ार रुपये मिले तो वो हलाला के लिए तैयार हैं।पूछा कब की तारीख रखे तो बोला कल की ही रख लो। लार टपकती साफ देखी जा सकती थी उसकी।एक मौलाना तो ये बोला कि वो तीन हलाला कर चुका हैं।
मुस्लिम महिलाओं से एक बात तो कहना चाहता हूँ कि तुम्हारी कौम तो तुम्हारे साथ हैं नहीं, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल किले की प्राचीर से तीन तलाक के खिलाफ एक मुहिम ही तुम्हारे काम आएगी।अब प्रधानमंत्री से ही उम्मीद हैं।कौम को तो और भी बहुत काम हैं।लेकिन बहुत जल्द ही इस घिनोने कानून से आप को आज़ादी मिले यही मेरी कामना हैं।
मुस्लिम महिलाओं से एक बात तो कहना चाहता हूँ कि तुम्हारी कौम तो तुम्हारे साथ हैं नहीं, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल किले की प्राचीर से तीन तलाक के खिलाफ एक मुहिम ही तुम्हारे काम आएगी।अब प्रधानमंत्री से ही उम्मीद हैं।कौम को तो और भी बहुत काम हैं।लेकिन बहुत जल्द ही इस घिनोने कानून से आप को आज़ादी मिले यही मेरी कामना हैं।
इंडिया टुडे की इंवेस्टीगेटिव टीम ने जांच में इस वर्जित रिवाज पर फोकस किया है, जिस पर वैसे नोटिस नहीं लिया गया है जैसे कि लिया जाना चाहिए था. तीन तलाक पर मीडिया और देश की सर्वोच्च अदालत में बहस के दौरान भी हलाला का पहलू अछूता ही रहा. इंडिया टुडे की जांच ने ऐसे कई इस्लामी मौलवियों को बेनकाब किया, जो अपना चार्ज लेकर ऐसी महिलाओं के साथ हलाला के लिए तैयार दिखे, जो अपनी टूटी शादी को बचाने के लिए हताश हैं.
एक रात का शौहर बनने को तैयार इमाम
गाजियाबाद में इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोटर्स ने सबसे पहले मोहम्मद नदीम से मुलाकात की. नदीम मुरादाबाद से सटे लालबाग में मदीना मस्जिद में इमाम है. जांच से ये तथ्य सामने आया कि नदीम पहले से शादीशुदा है. नदीम से एक काल्पनिक तलाकशुदा मुस्लिम महिला के रिश्तेदार बनकर अंडर कवर रिपोर्टर्स ने बात की. नदीम ने इस महिला के लिए ‘एक रात का शौहर’ बनने के लिए रजामंदी दिखाई. रिपोर्टर ने जब नदीम से पूछा कि क्या आपकी पत्नी ऐतराज नहीं जताएगी, तो इस पर जवाब मिला कि नहीं उसे कोई ऐतराज नहीं होगा. रिपोर्टर ने फिर सवाल किया कि क्या आपने अपनी पत्नी से इस बारे में बात की है. इस पर नदीम ने कहा, ‘नहीं, मैंने उससे बात नहीं की है. मैंने उसे नहीं बताया है. उसे बताने की जरूरत ही क्या है?’
रात गुजारने के बाद गारंटी के साथ तलाक
लालबाग की मदीना मस्जिद के इमाम नदीम ने कबूल किया कि वो पहले भी कई निकाह हलाला शादियों को अंजाम दे चुका है. इस बार उसने अपनी पूरी ‘सर्विस’ के लिए पैकेज डील का हवाला दिया, जिसमें सेक्स करना भी शामिल था. नदीम ने एक लाख रुपए की मांग की. साथ ही गारंटी भी दी कि वो महिला के साथ एक रात गुजारने के बाद उसे तलाक दे देगा जिससे कि वो पर्सनल लॉ के मुताबिक पहले पति के साथ दोबारा निकाह करने के लिए काबिल हो जाए. इंडिया टुडे ने जांच में पाया कि ये ‘एक रात के दूल्हों’ का कारोबार व्यापक जड़े जमाए हुए है.
मौलवी अपनी पत्नियों को ऐसे करते हैं मैनेज
दिल्ली के जामिया नगर में इंडिया टुड़े के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने जुबेर कासमी का रुख किया. मौलाना की काबिलियत रखने वाले जुबेर की पहले से ही दो पत्नियां हैं. इसके बावजूद जुबेर ने पैसे के बदले निकाह हलाला के लिए तीसरी बार शादी के लिए तैयार होने में जरा देर नहीं लगाई. जुबेर ने शेखी बधारते हुए कहा, ‘मैं कई रात बाहर रहता हूं. दो (पत्नियों) के साथ मैनेज करना बहुत आसान हो जाता है. पहली को लगता है कि मैं दूसरी पत्नी के साथ हूं.
वहीं, दूसरी पत्नी को लगता है कि मैं पहली के साथ हूं. दो पत्नियों के साथ ये ज्यादा मुश्किल नहीं है.’जुबेर ने मेहर के आधार पर अपनी ‘फीस’ बताई. मेहर वो रकम या गिफ्ट होती है जो मुस्लिम दूल्हा निकाह के दौरान देने का वादा करता है. जुबेर ने कहा, ‘किसी बात की फिक्र मत कीजिए. मैं सब इंतजाम कर दूंगा. अगर मेहर के 30,000 रुपए तय होते हैं तो 40,000 या 50,000 रुपए लगेंगे (निकाह हलाला में हिस्सा लेने के लिए). इसमें कहीं कोई समस्या नहीं है.’
सेक्स करने के बाद तड़के तलाक
इंडिया टुडे की इंवेस्टीगेटिव टीम ने अगले दिन दिल्ली के दारूल उलूम महमूदिया मदरसा से जुड़े मोहम्मद मुस्तकीम का रुख किया. इस्लामिक अध्ययन में शिक्षित मुस्तकीम निकाह हलाला के लिए तलाकशुदा महिलाओं के साथ एक रात गुजारने को तैयार दिखा. मुस्तकीम ने दावा किया कि ये काम वो पहले भी कई बार कर चुका है. मुस्तकीम ने माना, ‘कमरे में एक महिला थी, मैं वहां गया और सेक्स किया. तड़के 2-3 बजे रवाना होने से पहले मैंने उसे तलाक दे दिया.’
औपचारिक शादी किए बिना निकाह हलाला
मुस्तकीम ने बिना औपचारिक शादी किए निकाह हलाला को अंजाम दिया. अंडर कवर रिपोर्टर ने मुस्तकीम से पूछा, ‘आप तीन निकाह हलाला में शामिल रहे. सिर्फ एक मौके पर ही वास्तव में शादी की. बाकी दो निकाह हलाला बिना शादी के ही अंजाम दिए.’मुस्तकीम ने कबूल किया, ‘हां बिना शादी के, उसके साथ सोने के बाद मैं 1 बजे चला गया.’मुस्तकीम ने इस ‘सर्विस’ के लिए अपनी फीस में मदरसे के लिए चंदा भी शामिल बताया. मुस्तकीम ने कहा, ‘आपको मदरसे के लिए 20,000 रुपए देने होगें. मैं किसी भी रकम के लिए ये करने को तैयार हूं. मैं पहले भी कई बार ये कर चुका हूं.’
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार
बता दें कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की देश प्रतीक्षा कर रहा है. इंडिया टुडे की जांच में पाया गया कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए निकाह हलाला का खतरनाक भंवरजाल अब भी खुला हुआ है. कुछ मामलों में संभावित डील को मौलवी खुद ही अंजाम देते हैं. बुलंदशहर के तिलगांव में मेवातियन मस्जिद के इमाम जहीरूल्लाह ने इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स के सामने निकाह हलाला के लिए प्रस्तावित दूल्हे के तौर पर एक शख्स को पेश किया. आरिफ नाम के इस शख्स ने बड़ी उम्र के बावजूद अपनी मर्दानगी को लेकर ढींगे हांकने में कमी नहीं की. आरिफ ने कहा, ‘मेरा प्रोग्राम सेट है. आज, कल और परसो. मैं हमेशा (24X7) फिट हूं, माशाल्लाह.’ आरिफ ने अपनी फीस 25000 रुपए बताई.
पेशेवर की तरह निकाह हलाला की पेशकश
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में अंडर कवर रिपोर्टर्स ने मोहम्मद जाहिद से मुलाकात की. जाहिद सिखेड़ा गांव में मदरसा चलाता है. जाहिद ने एक पेशेवर की तरह निकाह हलाला के लिए अपनी ‘सर्विस’ की पेशकश की. जाहिद ने कहा, ‘हम इस मामले को देखेंगे. हमारे पास आदमी हैं. उनके जरिए ये कराया जाएगा. अगर आप उन पर भरोसा नहीं रखते तो इस काम के लिए मैं हमेशा तैयार हूं.’अंडर कवर रिपोर्टर ने जाहिद से पूछा, ‘हमें आपके लिए कितनी रकम जुटानी होगी.’ जाहिद ने जवाब दिया- ‘एक लाख से डेढ़ लाख के बीच,,,ना डेढ़ लाख से ऊपर और ना एक लाख से कम.’
पिताश्री एम.बी.एल.निगम |
इस मुद्दे पर स्मरण होती है पिताश्री एम.बी.एल.निगम और ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी के साथ हुई एक वार्ता। मीना कुमारी और कमाल के बीच चल रहे मनमुटाव को देखते हुए, एक दिन पिताश्री ने तलाक़ लेकर नयी ज़िन्दगी शुरू करने की जैसे ही बात की मीना जी तुरंत कहा : "निगम बाबू चाहे कुछ भी हो जाए, मैं तलाक़ नहीं लूंगी, क्योकि मै चाहती हूँ, कि मरते वक़्त मै कमाल साहब ही की बीबी कहलाऊँ।" और जब तक पिताश्री बम्बई(मुंबई) रहे, मीना जी कभी कमाल साहब को तलाक़ नहीं दिया। लेकिन पिताश्री के दिल्ली आने उपरान्त घटनाक्रम ऐसा पलटा, कि कमाल साहब ने मीना को तलाक़ दे दिया, और जब उनको अपनी गलती का अहसास हुआ और दोबारा अपनी बेगम बनाने के लिए सलमान के पिता सलीम खान के साथ हलाला करना पड़ा। .जो औरत मरते वक़्त कमाल अमरोही की बेगम बना रहना चाहती हो, उसे इस कुरीति ने एक गलती के कारण किसी और की भी बीबी बनने को मज़बूर कर दिया।
ऐसा नहीं है कि कमाल साहब कंजूस प्रवित्ति के हों। जब "पाकीज़ा" बीच में रुक गयी थी, तब अभिनेता गोबिन्द और निर्माता-निर्देशक कीर्ति कुमार के पिताश्री अरुण ने भी फिल्म में काम किया था, अरुण साहब कुछ तो रूपए के गए थे, लेकिन जब शेष बचे 600 रूपए लेने अपनी पत्नी निर्मला को भेजा, तो पिताश्री ने रकम देने से मना कर दिया, विवाद इतना बढ़ गया कि कमाल साहब तक पहुँच गयी। कमाल साहब ने बोले : "निगम साहब बेचारी औरत को क्यों दुःखी करते हो, दे दीजिए रूपए।" लेकिन पिताश्री ने कहा " आपके कहने से 30/40 रूपए दे सकता हूँ, सारे नहीं। इन दोनों की फ़िल्मी शादी है, पता नहीं छोड़ दिया हो, अरुण साहब की लिखत होती सारे पैसे दे देता, आप तक बात आती ही नहीं।" कहने का मतलब केवल इतना ही है कि जब विवाद हो हर बात संभव है, लेकिन कमाल साहब को धन का मोह या कंजूस प्रवृत्ति के नहीं थे। बहुत खुले हाथ के मालिक थे।
जब पिताश्री किसी कारणवश कमाल साहब को छोड़ दिल्ली आ गए, तुरन्त पिताश्री को वापस बुलाने दिल्ली तक भागे आये और इम्पीरियल होटल(उन दिनों फिल्म वाले इसी होटल में रुकते थे) में मिलने को बोला। कारण पूछने उपरान्त कमाल साहब के पास कोई जवाब नहीं था, बस पिताश्री से बोले "निगम बाबू अगर ऐसी बात है तो बम्बई आने की लिए नहीं बोलूंगा। और कभी कोई समस्या हो 24 घण्टे दरवाज़े खुले हैं।"
यदि हलाला प्रथा हिन्दू समाज में होती, न जाने कब की बंद हो गयी होती, जिस तरह सती प्रथा समाप्त हो गयी। लेकिन मुस्लिम समाज इस्लाम का वास्ता देकर इस कुरीति को जीवित रख अपनी ही महिलाओं पर सितम ढहा रहे हैं।
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