आर.बी.एल.निगम,वरिष्ठ पत्रकार
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को लेकर संतों ने एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है। संतों का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भाजपा सरकार एससी/एसटी एक्ट के लिए बिल ला रही है तो अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए कानून क्यों नहीं बना सकती। श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा की भाजपा सरकार जब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को नकार कर बिल ला सकती है, तो अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए बिल क्यों नहीं ला सकती?
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा राम के नाम पर सत्ता में गई है और अब राम को भूल गई है। उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझ कर मामले को टालने की कोशिश में लगी हुई है। राम भक्त इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
आचार्य ने भाजपा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि आगामी चुनाव में इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है। भाजपा अभी से चेत जाए।
अवलोकन करें:--
उधर, धर्मसेना के अध्यक्ष कारसेवक संतोस डूबे का कहना है की सरकार को भव्य मंदिर निर्माण के लिए बिल लाना चाहिए। यही सही समय है। उन्होंने कहा कि अगर अभी ऐसा नहीं हुआ तो सरकार बचेगी नहीं। उन्होंने कहा कि मंदिर बनाया तो दोबारा भाजपा की सरकार बनेगी। वहीं, श्री राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास का कहना है की केंद्र की भाजपा सरकार बहुमत में है। सरकार अपने आप राम मंदिर का निर्माण करेगी। जनता ने केंद्र और प्रदेश की सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए ही चुना है. राम मंदिर निर्माण का दायित्व सरकार पर है।
भाजपा के सहयोग से बनी वी.पी.सिंह सरकार के बाद पाञ्चजन्य के तत्कालीन सम्पादक तरुण विजय (भूतपूर्व राज्य सभा सांसद) ने भाजपा वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवाणी के साथ आर्गेनाइजर सम्पादकीय विभागों के साथ भेंटवार्ता आयोजित की थी, अन्य मुद्दों पर चर्चा होने के साथ-साथ जब अयोध्या में राममन्दिर की बात पर अडवाणी ने कहा था,"जब तक केन्द्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा बहुमत में नहीं आती, राममन्दिर बनना असम्भव है। हाँ, भविष्य में यदि ऐसा हो गया तो राममन्दिर बनने की सारी अड़चने स्वतः समाप्त हो जाएँगी।" आज केन्द्र में भाजपा अपने कार्यकाल के अन्तिम पड़ाव पर है, जबकि उत्तर प्रदेश में भी भाजपा पूर्ण बहुमत में है, लेकिन अयोध्या विवाद वहीँ का वहीँ है। किसी ने भी कोर्ट में झूठ बोलने वालों के विरुद्ध कोई केस तक नहीं किया, कि खुदाई में मिले समस्त अवशेष मन्दिर के पक्ष में थे, लेकिन तत्कालीन पुरातत्व विभाग के निदेशक डॉ के.के.मोहम्मद ने सेवानिर्वित होने उपरान्त तमिल भाषा में लिखित अपनी पुस्तक में स्पष्ट लिखा है कि वामपंथी इतिहासकारों ने कोर्ट को धोखा दिया। मन्दिर के पक्ष में इतने सबूत मिलने पर कोर्ट में केवल एक ही खम्बा प्रस्तुत किया गया था। काश! मस्जिद के पक्ष में .000000001 प्रतिशत भी कोई प्रमाण मिल गया होता, पता नहीं कब की मस्जिद बन गयी होती और हिन्दू समाज भी विश्व हिन्दू परिषद्, रामजन्मभूमि न्यास और अयोध्या विवाद से जुड़े अन्य हिन्दू संगठनों पर हिन्दुओं को भ्रमित करने के आरोपों से कलंकित कर रहे होते। परन्तु मन्दिर पक्ष में सबूतों का अम्बार मिलने के बाद भी समस्त हिन्दू समाज खामोश है, विपरीत इसके तुष्टिकरण पुजारी उस ओर ध्यान हटाने के लिए जातिवाद की आग को बढ़ावा दे रहे हैं।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को लेकर संतों ने एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है। संतों का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भाजपा सरकार एससी/एसटी एक्ट के लिए बिल ला रही है तो अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए कानून क्यों नहीं बना सकती। श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा की भाजपा सरकार जब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को नकार कर बिल ला सकती है, तो अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए बिल क्यों नहीं ला सकती?
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा राम के नाम पर सत्ता में गई है और अब राम को भूल गई है। उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझ कर मामले को टालने की कोशिश में लगी हुई है। राम भक्त इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
आचार्य ने भाजपा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि आगामी चुनाव में इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है। भाजपा अभी से चेत जाए।
अवलोकन करें:--
भाजपा के सहयोग से बनी वी.पी.सिंह सरकार के बाद पाञ्चजन्य के तत्कालीन सम्पादक तरुण विजय (भूतपूर्व राज्य सभा सांसद) ने भाजपा वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवाणी के साथ आर्गेनाइजर सम्पादकीय विभागों के साथ भेंटवार्ता आयोजित की थी, अन्य मुद्दों पर चर्चा होने के साथ-साथ जब अयोध्या में राममन्दिर की बात पर अडवाणी ने कहा था,"जब तक केन्द्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा बहुमत में नहीं आती, राममन्दिर बनना असम्भव है। हाँ, भविष्य में यदि ऐसा हो गया तो राममन्दिर बनने की सारी अड़चने स्वतः समाप्त हो जाएँगी।" आज केन्द्र में भाजपा अपने कार्यकाल के अन्तिम पड़ाव पर है, जबकि उत्तर प्रदेश में भी भाजपा पूर्ण बहुमत में है, लेकिन अयोध्या विवाद वहीँ का वहीँ है। किसी ने भी कोर्ट में झूठ बोलने वालों के विरुद्ध कोई केस तक नहीं किया, कि खुदाई में मिले समस्त अवशेष मन्दिर के पक्ष में थे, लेकिन तत्कालीन पुरातत्व विभाग के निदेशक डॉ के.के.मोहम्मद ने सेवानिर्वित होने उपरान्त तमिल भाषा में लिखित अपनी पुस्तक में स्पष्ट लिखा है कि वामपंथी इतिहासकारों ने कोर्ट को धोखा दिया। मन्दिर के पक्ष में इतने सबूत मिलने पर कोर्ट में केवल एक ही खम्बा प्रस्तुत किया गया था। काश! मस्जिद के पक्ष में .000000001 प्रतिशत भी कोई प्रमाण मिल गया होता, पता नहीं कब की मस्जिद बन गयी होती और हिन्दू समाज भी विश्व हिन्दू परिषद्, रामजन्मभूमि न्यास और अयोध्या विवाद से जुड़े अन्य हिन्दू संगठनों पर हिन्दुओं को भ्रमित करने के आरोपों से कलंकित कर रहे होते। परन्तु मन्दिर पक्ष में सबूतों का अम्बार मिलने के बाद भी समस्त हिन्दू समाज खामोश है, विपरीत इसके तुष्टिकरण पुजारी उस ओर ध्यान हटाने के लिए जातिवाद की आग को बढ़ावा दे रहे हैं।
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