कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक बार फिर से विवादित बयान दिया है. अक्सर भाजपा और पीएम मोदी को लेकर तीखे बयान देने वाले मणिशंकर अय्यर के इस बयान पर भी बवाल मचना तय है. इससे पहले उन्होंने गुजरात चुनाव के समय भी पीएम के खिलाफ अभद्र शब्द इस्तेमाल किए थे. इसके बाद पीएम मोदी ने उनके शब्दों को ही पूरे गुजरात चुनाव के दौरान प्रचार में इस्तेमाल किया था.
अब मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2002 के गुजरात दंगाें को लेकर दिए गए बयान को याद किया है. मणिशंकर अय्यर ने कहा, मैंने नहीं सोचा था कि 2014 से एक सीएम जो मुसलमानों को पिल्ला समझता है, वह पीएम बनेगा. जब उनसे पूछा गया कि आपको उस घटना का दुख है तो उन्होंने कहा था कि एक पिल्ला भी गाड़ी के नीचे आ जाए तो दिल में चोट लगती है.
मैंने सोचा कि जिस आदमी ने ऐसा कहा, जो दंगों के 24 दिन तक मुस्लिमों के कैंप में नहीं गया. अहमदाबाद मस्जिद उस दिन पहुंचा जब पीएम वाजपेयी आए. उस दिन जाना मजबूरी थी. मैंने सोचा ही नहीं था कि ऐसा व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री बन सकता है.
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ये पहली बार नहीं है, जब मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को लेकर विवादित बयान दिया है. इससे पहले वह गुजरात चुनाव में उनके खिलाफ टिप्पणी कर चुके है।
अय्यर साहब ने कभी यह नहीं पूछा कि "गाड़ी में आग किसने लगाकर जीवित 56 रामभक्तों को किसने जलाया था?" अय्यर साहब न ही गाड़ी में आग लगाई जाती और न गोधरा काण्ड होता। फिर 2002 से पूर्व कांग्रेस राज में जो दंगे होते थे, उसकी शय पर होते थे? गोधरा काण्ड पर तिजोरी भरने वालों के विरुद्ध अय्यर साहब की आवाज़ क्यों नहीं निकलती?
इमरजेंसी में जो दंगे हुए थे, उसके लिए कौन जिम्मेदार था, तब तो समस्त विपक्ष जेलों में बंद था? देश में सबसे ज्यादा दंगे कांग्रेस के ही राज में हुए, जिसमें लाखों मुसलमानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इतना ही नहीं, मलियाना दंगे पर क्यों नहीं बोलते? वह तो कांग्रेस के राज में हुआ था, और उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे नारायण दत्त तिवारी। वो दंगा तो गुजरात 2002 से कहीं अधिक भयानक था। आज तक पीड़ित मुसलमानों को कोई इंसाफ नहीं मिला, अदालतों के चक्कर काट रहे हैं।
जिसे देखो 1984 दंगों की बात करता है, लेकिन महात्मा गाँधी वध उपरान्त चितपावन ब्राह्मणों के नरसंहार की कोई चर्चा तक करने को तैयार नहीं, क्यों? जो आज़ाद भारत का शायद सबसे भयंकर नरसंहार था। यदि भारत में मणिशंकर अय्यर जैसे जयचन्दी नहीं होते, मुग़ल भारत में घुस ही नहीं सकते थे, राज करना तो दूर की बात है। बरहाल, अय्यर साहब जैसे नेता, कुछ वर्ष पूर्व लिखे मेरे लेखों को सत्यापित कर रहे हैं।
अब मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2002 के गुजरात दंगाें को लेकर दिए गए बयान को याद किया है. मणिशंकर अय्यर ने कहा, मैंने नहीं सोचा था कि 2014 से एक सीएम जो मुसलमानों को पिल्ला समझता है, वह पीएम बनेगा. जब उनसे पूछा गया कि आपको उस घटना का दुख है तो उन्होंने कहा था कि एक पिल्ला भी गाड़ी के नीचे आ जाए तो दिल में चोट लगती है.
Maine nahi socha tha 2014 ke pehle ki ek CM jo Musalmanon ko pilley(puppies) samajhta hai,jab poocha gaya ki aapko dukh hai kya ki itne Musalmanon ko jaan ki kurbaani deni padi 2002 mein,unhone kaha 'ek pilla bhi gaadi ke neeche aa jaaye to dil mein kuch chot lagta hai': MS Aiyar
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अय्यर साहब ने कभी यह नहीं पूछा कि "गाड़ी में आग किसने लगाकर जीवित 56 रामभक्तों को किसने जलाया था?" अय्यर साहब न ही गाड़ी में आग लगाई जाती और न गोधरा काण्ड होता। फिर 2002 से पूर्व कांग्रेस राज में जो दंगे होते थे, उसकी शय पर होते थे? गोधरा काण्ड पर तिजोरी भरने वालों के विरुद्ध अय्यर साहब की आवाज़ क्यों नहीं निकलती?
इमरजेंसी में जो दंगे हुए थे, उसके लिए कौन जिम्मेदार था, तब तो समस्त विपक्ष जेलों में बंद था? देश में सबसे ज्यादा दंगे कांग्रेस के ही राज में हुए, जिसमें लाखों मुसलमानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इतना ही नहीं, मलियाना दंगे पर क्यों नहीं बोलते? वह तो कांग्रेस के राज में हुआ था, और उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे नारायण दत्त तिवारी। वो दंगा तो गुजरात 2002 से कहीं अधिक भयानक था। आज तक पीड़ित मुसलमानों को कोई इंसाफ नहीं मिला, अदालतों के चक्कर काट रहे हैं।
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