आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
असम के NRC ड्राफ्ट का मुद्दा अभी सुलग ही रहा है कि बीजेपी ने चार अन्य राज्यों में भी NRC जांच कराने की मांग की है. बीजेपी ने राजधानी दिल्ली समेत, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में भी NRC लागू करने की मांग की है. केंद्र सरकार, भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने के लिए NRC प्रक्रिया लागू करने की मांग कर रही है.
पश्चिम बंगाल के लिए प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष और प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने NRC की मांग की है. वहीं दिल्ली में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने राजधानी में, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में और नरेश अग्रवाल ने यूपी में एनआरसी की मांग की है. समाजवादी पार्टी से भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा है कि पुरे देश में NRC लागु कर घुसपैठियों का पता लगाना चाहिए. अग्रवाल के अनुसार दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे अन्य राज्यों में भी घुसपैठिये रहते हैं.
असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का ड्राफ्ट जारी होने के दूसरे दिन अगस्त 1 को भी संसद में जमकर हंगामा हुआ। पूरा विपक्ष एक होकर सरकार पर हमलावर रहा। संसद के अंदर और संसद के बाहर दोनों जगह विपक्ष ने विरोध जताया। हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही कई बार प्रभावित हुई, इसके बाद उसे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मसौदे के आधार पर किसी के भी खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि यह अभी सिर्फ एक मसौदा ही है।
इस सन्दर्भ में अवलोकन करें:--
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा, 'राज्य (असम) के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से राज्य एनआरसी समन्वयकों के साथ एक रोडमैप तैयार करने के लिए समन्वय करने के लिए कहा है ताकि मतदाता सूची का संशोधन 4 जनवरी 2019 तक पूरा हो। हम नहीं चाहते कि वैध वोटर्स मतदाता सूची से बाहर रहें।'
कांग्रेस नेता, मनीष तिवारी ने कहा, 'किस सबूत के आधार पर अमित शाह ने 40 लाख लोगों को बांग्लादेशी घुसपैठियों के रूप में घोषित किया? क्या प्रधानमंत्री मोदी इन लोगों को बांग्लादेश भेजने का वादा करते हैं? एक बेतुकी स्थिति बनाई गई है। यह असम को विचलित कर देगा और पूरे उत्तर पूर्व को बाधित करेगा।
कांग्रेस ने एनआरसी के मुद्दे को लेकर भाजपा पर विभाजन की लकीर खींचने और दुर्भावना पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अपने ही देश में भारतीय नागरिकों को शरणार्थी नहीं बनाया जा सकता। आनंद शर्मा ने कहा, 'एनआरसी की प्रकिया में दोष है। बड़ी संख्या में अपने नागरिक इससे बाहर किए गए। इससे जो लोग प्रभावित हैं वो बंगाल, बिहार और दूसरे राज्यों के लोग हैं। सुप्रीम कोर्ट की आड़ में बीजेपी और सरकार को राजनीति नहीं करनी चाहिए। यह संवेदनशील विषय है।'
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, 'एनआरसी का संबंध देश की सुरक्षा और देशवासियों के मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़ा है। कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।'
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, 'एनआरसी के पीछे राजनीतिक मकसद है, हम ऐसा होने नहीं देंगे। वे लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, इससे देश में रक्तपात और गृहयुद्ध होगा।'
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मसले पर कहा कि एनआरसी में जिन लोगों के नाम नहीं हैं उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए क्योंकि अभी यह सिर्फ मसौदा ही है। कोर्ट ने केंद्र से कहा कि असम के एनआरसी के संबंध में दावों और आपत्तियों को देखने के लिए वह मानक संचालन प्रक्रिया बनाए।
लोकसभा में कांग्रेस के गौरव गोगोई ने इस मसले पर सरकार पर आरोप लगाया कि इस कवायद के बावजूद कितने घुसपैठिए हैं, इसके आंकड़े सरकार के पास नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'गृह मंत्री ने सदन में बयान दिया, जिसमें कहा गया है कि जिन 40 लाख लोगों के नाम नहीं है, उनके पास अभी भी मौका है। इससे स्पष्ट है कि सरकार के पास अभी भी ये आंकड़े नहीं है कि घुसपैठियों की संख्या कितनी है।'
इस मसले पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे और कांग्रेस के सांसद प्रदीप भट्टाचार्य के बीच संसद परिसर में बहस हुई। प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि आप लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। वहीं अश्विनी चौबे ने कहा कि जो भारतीय बनकर रहेगा वही इस देश का नागरिक होगा।
बीजेपी के तेलंगाना से विधायक राजा सिंह ने कहा, 'यदि ये रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध अप्रवासी भारत को सम्मान से नहीं छोड़ते हैं, तो उन्हें गोली मार दी जानी चाहिए। तब हमारा देश सुरक्षित रहेगा।' (एजेंसीज इनपुट)
असम के NRC ड्राफ्ट का मुद्दा अभी सुलग ही रहा है कि बीजेपी ने चार अन्य राज्यों में भी NRC जांच कराने की मांग की है. बीजेपी ने राजधानी दिल्ली समेत, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में भी NRC लागू करने की मांग की है. केंद्र सरकार, भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने के लिए NRC प्रक्रिया लागू करने की मांग कर रही है.
पश्चिम बंगाल के लिए प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष और प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने NRC की मांग की है. वहीं दिल्ली में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने राजधानी में, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में और नरेश अग्रवाल ने यूपी में एनआरसी की मांग की है. समाजवादी पार्टी से भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा है कि पुरे देश में NRC लागु कर घुसपैठियों का पता लगाना चाहिए. अग्रवाल के अनुसार दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे अन्य राज्यों में भी घुसपैठिये रहते हैं.
- बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के राज्यसभा में बयान के बाद हंगामा मचा। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ने 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो एनआरसी के समान था। उनमें लागू करने का साहस नहीं था, हमने किया।
असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का ड्राफ्ट जारी होने के दूसरे दिन अगस्त 1 को भी संसद में जमकर हंगामा हुआ। पूरा विपक्ष एक होकर सरकार पर हमलावर रहा। संसद के अंदर और संसद के बाहर दोनों जगह विपक्ष ने विरोध जताया। हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही कई बार प्रभावित हुई, इसके बाद उसे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मसौदे के आधार पर किसी के भी खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि यह अभी सिर्फ एक मसौदा ही है।
इस सन्दर्भ में अवलोकन करें:--
कांग्रेस नेता, मनीष तिवारी ने कहा, 'किस सबूत के आधार पर अमित शाह ने 40 लाख लोगों को बांग्लादेशी घुसपैठियों के रूप में घोषित किया? क्या प्रधानमंत्री मोदी इन लोगों को बांग्लादेश भेजने का वादा करते हैं? एक बेतुकी स्थिति बनाई गई है। यह असम को विचलित कर देगा और पूरे उत्तर पूर्व को बाधित करेगा।
कांग्रेस ने एनआरसी के मुद्दे को लेकर भाजपा पर विभाजन की लकीर खींचने और दुर्भावना पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अपने ही देश में भारतीय नागरिकों को शरणार्थी नहीं बनाया जा सकता। आनंद शर्मा ने कहा, 'एनआरसी की प्रकिया में दोष है। बड़ी संख्या में अपने नागरिक इससे बाहर किए गए। इससे जो लोग प्रभावित हैं वो बंगाल, बिहार और दूसरे राज्यों के लोग हैं। सुप्रीम कोर्ट की आड़ में बीजेपी और सरकार को राजनीति नहीं करनी चाहिए। यह संवेदनशील विषय है।'
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