असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर सडक से लेकर संसद तक हंगामा बरपा है ! सत्ता पक्ष जिन 40 लाख लोगों का नाम एनआरसी में नहीं है उन्हें नागरिकता साबित करने के लिए मौका देने की बात कही है। वहीं विपक्ष का कहना है कि, सरकार का इरादा ठीक नहीं है, अपने ही घर में इतने लोगों को बेघर किया जा रहा है। इस बीच बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि घुसपैठिए अवैध नहीं होते हैं।
तस्लीमा ने भारतीय नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, ”भारत में काफी मुस्लिम हैं। भारत को पडोसी देशों से और मुस्लिमों की आवश्यकता नहीं है। परंतु समस्या यह है कि भारतीय राजनेताओं को इनकी आवश्यकता है !”
भारत में निर्वासित तस्लीमा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कठघरे में खडा करते हुए कहा, "यह देखकर अच्छा लगा कि ममता जी 40 लाख बांग्ला बोलनेवालों के लिए इतनी ज्यादा सहानुभूति रखती हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि वह असम से बाहर किए जानेवाले लोगों को वह शरण देंगी। उनकी यह सहानुभूति तब कहां थी जब उनकी विरोधी पार्टी ने मुझे पश्चिम बंगाल से बाहर कर दिया था ?”
तस्लीमा ने कहा,"ममता जी के अंदर सभी बेघर बांग्ला बोलने वालों के लिए सहानुभूति नहीं है। यदि उनके अंदर होता तो उनके अंदर मेरे लिए भी होती और उन्होंने मुझे भी पश्चिम बंगाल में आने की अनुमति दी होती !”
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तस्लीमा किताबों को लेकर विवादों में रही हैं। मुस्लिम संगठनों ने बांग्लादेश में तस्लीमा का विरोध किया था। जिसके बाद वो भारत आ गई और पश्चिम बंगाल में शरण ली। परंतु साल 2007 में उनके लेखन को लेकर कोलकाता में हिंसक प्रदर्शन हुआ। तब की लेफ्ट सरकार ने उन्हें राज्य से बाहर जाने के लिए कहा। अब तस्लीमा ने इसी बहाने ममता बनर्जी पर निशाना साधा है !
तस्लीमा ने भारतीय नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, ”भारत में काफी मुस्लिम हैं। भारत को पडोसी देशों से और मुस्लिमों की आवश्यकता नहीं है। परंतु समस्या यह है कि भारतीय राजनेताओं को इनकी आवश्यकता है !”
भारत में निर्वासित तस्लीमा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कठघरे में खडा करते हुए कहा, "यह देखकर अच्छा लगा कि ममता जी 40 लाख बांग्ला बोलनेवालों के लिए इतनी ज्यादा सहानुभूति रखती हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि वह असम से बाहर किए जानेवाले लोगों को वह शरण देंगी। उनकी यह सहानुभूति तब कहां थी जब उनकी विरोधी पार्टी ने मुझे पश्चिम बंगाल से बाहर कर दिया था ?”
तस्लीमा ने कहा,"ममता जी के अंदर सभी बेघर बांग्ला बोलने वालों के लिए सहानुभूति नहीं है। यदि उनके अंदर होता तो उनके अंदर मेरे लिए भी होती और उन्होंने मुझे भी पश्चिम बंगाल में आने की अनुमति दी होती !”
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