अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी: राफेल डील में पूरी पारदर्शिता, NPA की समस्या UPA की टेलिफोन बैंकिंग की देन
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
जिस बात की सबको उम्मीद थी और जिस बात को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से आश्वस्त थे, आखिर वही बात सच भी हुई. मोदी सरकार ने अपने खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को बड़ी आसानी से गिरा दिया. सरकार के पक्ष में 325 जबकि विपक्ष में 126 वोट पड़े। लेकिन इतने बड़े अंतर की जीत के बावजूद प्रधानमंत्री ने इस लड़ाई को हल्के में नहीं लिया. जुलाई 20 को प्रधानमंत्री अपनी प्रिय पोशाक आधी बांह के कुर्ते की जगह एकदम झक्क सफेद फुल आस्तीन के कुर्ते में लोकसभा में मौजूद रहे.अपने भाषण की शुरुआत में पीएम मोदी ने राहुल गांधी के गले मिलने पर तंज कसते हुए कहा कि आज सुबह हड़बड़ी में कोई कह रहा था कि उठो-उठो। शुक्रवार(जुलाई 20) का दिन भारतीय संसदीय इतिहास में यादगार दिन के तौर पर अंकित हो गया। एनडीए सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रही थी।
ये तय था कि पीएम मोदी उनपर अब किसी तरह का रहम नहीं करने वाले हैं। पीएम मोदी ने जब बोलना शुरू किया तो ये स्पष्ट था कि सधे अंदाज में वो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधेंगे और अपने भाषण में उन्होंने साफ कर दिया कि राहुल गांधी को अभी भी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
लोकसभा में अविश्वास मत पर चर्चा की शुरुआत टीडीपी ने जरूर की थी। लेकिन सबकी नजर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण पर टिकी थी। सदन में राहुल गांधी जमकर बरसे और खूब बरसे। इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी को झप्पी दी। अपने भाषण से लेकर झप्पी तक राहुल गांधी सदन के अंदर और बाहर हीरो की तरह नजर आए। लेकिन आंख क्या मारी कि पासा पलट चुका था।
इसके पहले राहुल ने पीएम मोदी को गले लगाया
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सभी को आश्चर्य में डाल दिया। 48 मिनट का भाषण खत्म करने के बाद राहुल अपनी जगह से उठकर सत्ता पक्ष की तरफ आए और पहली पंक्ति में बैठे नरेंद्र मोदी को गले लगा लिया। ये देखकर सदन में मौजूद सभी सदस्य अचंभे में पड़ गए। मोदी की प्रतिक्रिया भी कुछ ऐसी ही थी। हालांकि, जब राहुल जाने लगे तो मोदी ने उन्हें वापस बुलाया और पीठ भी थपथपाई।
इससे पहले राहुल ने अपने भाषण कई बार ऐसी बातें कहीं, जिससे लोकसभा में ठहाके लगे। एक बार उन्होंने ‘बाहर’ की जगह ‘बार’ शब्द का इस्तेमाल किया। एक बार कह दिया, ‘‘आप लोगों के लिए मैं पप्पू हूं।’’ एक मौके पर कहा कि प्रधानमंत्री अपनी आंख मेरी आंख में नहीं डाल सकते हैं। राहुल के भाषण के दौरान मोदी और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को भी कई बार मुस्कराते हुए देखा गया।
नायडू पर नरमी के जरिए आंध्र के लोगों का दिल जीतने की कोशिश
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पर टीडीपी ने कहा केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। लेकिन पीएम मोदी ने कहा कि 18 साल पहले देश के राजनीतिक मानचित्र पर तीन राज्यों ने आकार ग्रहण किया जो उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड थे। उस समय की एनडीए सरकार ने जिस ढंग से बंटवारा किया आप देख सकते हैं कि उन राज्यों का अपने मूल राज्यों से किसी तरह का विवाद नहीं हुआ।
लेकिन 2014 में आंध्र का बंटवारा कांग्रेस ने इस तरह किया वो नासूर बन चुका है। कांग्रेस ने मां यानि आंध्र प्रदेश को मार डाला। पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार आंध्र की मांग को लेकर तब भी संवेदनशील थी और आज भी है। हकीकत ये है कि सीएम चंद्रबाबू नायडू, वाईएसआर के जाल में फंस चुके हैं। पीएम ने कहा कि आज नायडू भले ही उनके साथ नहीं हैं लेकिन उनका दिल आंध्र के लोगोंं के साथ है और इस तरह से उन्होंने आंध्र की जनता को ये संदेश दिया कि बीजेपी उनके साथ खड़ी है और इस तरह से उन्होंने अपनी जमीन तैयार करने का आधार खड़ा किया।
पूरी तैयारी से मैदान में उतरे थे प्रधानमंत्री
कोई डेढ़ घंटे तक पानी पी पीकर विपक्ष के एक एक सवाल का जवाब दिया. अपने स्वभाव के विपरीत प्रधानमंत्री आज कम से कम 100 पेज के नोट्स लेकर जवाब देने उतरे. उनके नोट्स आंकड़ों से भरे हुए थे.शुरू के बीस मिनट प्रधानमंत्री ने 18,000 गांवों को बिजली पहुंचाने से शुरू कर जनधन खाते, गैस सिलेंडर, स्वाइल हैल्थ कार्ड, नीम कोटेड यूरिया, एलईडी बल्ब, मुद्रा योजना, इन्नोवेटिव इंडिया, डिजिटल ट्रांजेक्शन, ईज ऑफ डुइंग बिजनेस तक हर योजना के बारे में आंकड़ों की बरसात के साथ जवाब दिया.
नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास पेश प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ तौर पर कहा कि राफेल समझौते में किसी तरह का कोई घोटाला नहीं हुआ है। समझौता पूरी तरह से पारदर्शी है। ये दो देशों (भारत और फ्रांस) के बीच हुआ संमझौता है। राफेल कोई दो कंपनियों के बीच का समझौता नहीं है। ऐसे में किसी तरह के गंभीर आरोप लगाने से पहले सच्चाई जानने की जरुरत है। मोदी ने राहुल गांधी का नाम बिना लेते हुए कहा कि ऐसी बचकानी हरकतों से बचना चाहिए। गैर जिम्मेदारी वाले बयान की वजह से दो देशों की सरकारों को खंडन जारी करना पड़ा है। यह शर्मनाक बात है।
अवलोकन करें:--
मोदी यहीं नहीं रुके, राहुल गांधी के चौकीदार के भागीदार बन जाने के आरोप को भी उन्होंने पहले अपने हिसाब से पूरी तरह मोड़ा और फिर पलटकर राहुल पर ही दाग दिया. पीएम के आंख से आंख न मिलाने के राहुल के आरोप पर तो मोदी वीर रस के कवि की तरह दिखाई दिए. उन्होंने अपना रूपक गढ़ते हुए कहा कि राहुल नामदार हैं और मोदी कामदार हैं. कामदार आदमी नामदार आदमी से क्या आंखे मिलाएगा. फिर उन्होंने सुभाष चंद्र बोस से लेकर शरद पवार तक का उदाहरण देकर कहा कि जिसने आप से आंख मिलाई, उसका क्या हश्र हुआ, यह सब जानते हैं.
दिनभर संसद में व्यस्त रहने के बावजूद प्रधानमंत्री को पता था कि देश के समाचार चैनलों पर दिनभर संसद की किन चीजों को हाइलाइट किया गया है. राहुल गांधी के आंख से इशारा करने की दिनभर वायरल हुई तस्वीरों और वीडियो को मोदी ने पूरे नाटकीय ढंग से सदन में पेश किया और कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकते.
बिजली, बैंक, बीमा, रोजगार के हुए विपक्ष विकास नहीं मानता
देश में बैंकों के संकट के लिए उन्होंने अपने चार साल के कार्यकाल की किसी तरह की जिम्मेदारी मानने के बावजूद एक बार फिर कांग्रेस की पुरानी सरकारों को जिम्मेदार बताया. मोदी ने कहा कि डिजिटल इंडिया से बहुत पहले कांग्रेस ने टेलीफोन बैंकिंग शुरू कर दी थी. इस बैंकिंग में सत्ता प्रतिष्ठान से आने वाले फोन काल पर गलत लोगों को लोन दिए गए और इससे बैंकों का एनपीए बढ़ा.
नरेंद्र मोदी ने कहा हमने अपने कार्यकाल में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाकर देश के सभी गांवों तक एनडीए सरकार ने बिजली पहुंचाई है। देश के 30 करोड़ ऐसे लोगो का जनधन योजना के तहत बैंक अकाउंट खुलवाया गया , जिनका कभी बैंक खाता ही नहीं खुला था। इसी तरह मुद्रा योजना के तहत 13 करोड़ युवाओं को रोजगार के लिए लोन दिया गया। देश में 100 करोड़ एलईडी बल्ब लगाए गए हैं। फसल बीमा योजना के तहत 5500 करोड़ रुपए का क्लेम किसानों ने लिया है। मोदी के अनुसार ये सब काम विपक्ष को विकास के रुप में नहीं दिखता है।
मोदी ने सबसे ज्यादा मजेदार जवाब बेरोजगारी को लेकर दिया. उन्होंने राष्ट्रीय सेंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के सरकारी आंकड़ों को खारिज करते हुए रोजगार की अपनी ही परिभाषा दी. इस हाइपोथैटिकल विमर्श में प्रधानमंत्री ने बेरोजगारी और रोजगार के पारंपरिक मायने ही बदल दिए. अब तक का चलन यही है कि अगर कोई पात्र व्यक्ति कोई डिग्री हासिल कर लेता है तो वह नौकरी पाने से पहले रोजगार कार्यालय में खुद को बेरोजकार के तौर पर दर्ज कराता है. अगर इस व्यक्ति को नौकरी मिल जाती है तो उसका नाम बेरोजगारों की सूची से हटा दिया जाता है. लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर कोई एलएलबी करके वकील बनता है तो उनमें से कम से कम 60 फीसदी लोग अदालत में प्रेक्टिस करने जाते हैं. ये साठ लोग अपने साथ कम से कम दो और लोगों को रोजगार देते हैं.
इसी तरह उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट से जुड़े रोजगार की भी गणना की. इसके बाद उन्होंने सबको चौंकाते हुए बताया कि जो नए कमर्शियल वाहन देश में बिकते हैं, उनका मतलब है कि हर वाहन पर कम से कम दो लोगों को रोजगार मिल रहा है. इस तरह के संपूर्ण गणित के साथ प्रधानमंत्री ने साबित किया कि देश में एक करोड़ रोजगार पिछले साल पैदा किए गए.
एक साल में एक करोड़ से ज्यादा नौकरियां
नरेंद्र मोदी ने संगठित क्षेत्र, प्रोफेशनल्स और ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर एक निजी संस्था के सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा कि अकेले एक साल में एक करोड़ से ज्यादा लोगों को नौकरियां मिली हैं।
सेक्टर | नौकरियां |
ईपीएफ और एनपीएस | 70 लाख |
वकील के जरिए | 2 लाख |
पैंसेजर व्हीकल सेल्स का असर | 5 लाख |
नई कंपनी के जरिए | 1 लाख |
नए ऑटो की सेल्स के जरिए | 3.40 लाख |
चार्टर्ड अकाउंटेट के जरिए | 1 लाख |
कालाधन पर SIT, बेनामी संपत्ति कानून, डेढ़ गुना MSP , GST पर हमने एक्शन किया
मोदी ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि कालाधन पर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी के गठन की बात कही थी। लेकिन एसआईटी एनडीए सरकार ने गठन किया। बेनामी संपत्ति कानून 30 साल से पारित था लेकिन उसे कांग्रेस सरकार ने नोटिफाई नहीं किया था। मोदी ने कहा कि हमने बेनामी कानून को नोटिफाई किया। अब तक 5400 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति जब्त हुई है। किसानों को डेढ़ गुना एमएसपी देने का वादा एनडीए सरकार ने पूरा किया। मोदी ने कहा कि जीएसटी कांग्रेस लटकाने की आदत के वजह से लागू नहीं कर पाई। हमने इसे लागू किया।
बैंकों को लूटा, करप्शन के लिए फोन बैंकिंग का यूपीए ने लिया सहारा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकों के बढ़ते एनपीए पर कहा कि ये सारा मामला यूपीए सरकार की लूट की वजह से हुआ है। उन्होंने कहा कि 2009-14 के बीच बैंकों पर दबाव बनाकर 52 लाख करोड़ रुपए का लोन दिलवाया गया। जबकि इसके पहले 60 साल में केवल बैंकों ने 18 लाख करोड़ रुपए का लोन दिया था। मोदी के अनुसार 6 साल में बैंकों के लोन में इतनी बेतहाशा बढ़ोतरी की वजह भ्रष्टाचार रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि टेलिफोन आते ही लोन दे दिया जाता था। इसकी वजह से आज एनपीए की गंभीर समस्या बनी है। मोदी ने कहा कि अगर 2014 में एनडीए सरकार नहीं बनती तो इस लूट की वजह से देश बहुत बड़े संकट से गुजर रहा होता।
आरबीआई, एजेंसियों, सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग किसी पर भरोसा नहींमोदी ने कहा कि कांग्रेस की फितरत ऐसी है कि उन्हें किसी भी संस्था पर विश्वास नहीं है। उन्हें आरबीआई पर अविश्वास है। उन्हें चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट, विश्व की प्रमुख एजेंसियों सब पर अविश्वास है। उन्होंने राहुल गांधी के भागीदार होने के आरोप पर कहा कि उनकी सरकार चौकीदार, भागीदार दोंनो है। लेकिन हम सौदागर नहीं हैं।
लोकसभा में यह 27वां अविश्वास प्रस्ताव : लोकसभा में इससे पहले कुल 26 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए हैं। शुक्रवार को 27वें प्रस्ताव पर चर्चा होगी। पहला अविश्वास प्रस्ताव 1963 में जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ आचार्य कृपलानी ने पेश किया था। इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ रिकॉर्ड 15 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए थे। 1990 में वीपी सिंह, 1997 में देवेगौड़ा, 1999 में वाजपेयी फ्लोर टेस्ट हारे। इस तरह तीन मौकों पर वोटिंग के बाद सरकारें गिर गईं।
सबसे कम वोट से हारे थे वाजपेयी : एनडीए सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 1999 में आया। तब वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई थी। वाजपेयी पहले ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जो इतने कम अंतर से हारे। 1996 में भी वाजपेयी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था, लेकिन वोटिंग से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। 2003 में कांग्रेस ने एक बार फिर वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन, तब वाजपेयी के पास पर्याप्त बहुमत था।
यूपीए सरकार खुद लाई थी प्रस्ताव : 2008 में एटमी डील के वक्त वाम दलों ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस लिया। उस वक्त यूपीए सरकार ने खुद विश्वास प्रस्ताव पेश किया और लोकसभा में हुई वोटिंग में मनमोहन सिंह को 19 वोटों से जीत मिली थी।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमको तो अपनी बात कहने का मौका मिल रहा है पर देश को यह भी देखने को मिला है कि कैसी नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को घेर रखा है, कैसे विकास के प्रति विरोध का भाव है. पीएम ने तंज कसा- 'ना मांझी न रहबर, न हक में हवाएं, है बस्ती भी जर्जर, ये कैसा सफर है.' पेश है उनके भाषण के मुख्य अंश :
- कइयों के मन में ये प्रश्न है कि अविश्वास प्रस्ताव लाया क्यों गया? ना तो संख्या है, न सदन में बहुमत है, फिर भी सदन में इस प्रस्ताव को क्यों लाया गया.
- अपना कुनबा कहीं बिखर ना जाए कांग्रेस पार्टी को इसकी चिंता है और अविश्वास प्रस्ताव इसका ही सबूत है.
- मैं यहां खड़ा भी हूं और जो 4 साल में काम करें है उस पर अड़ा भी हूं.
- भारत ने अपने साथ ही पूरी दुनिया के आर्थिक विकास को गति दी है.
- देश को विश्वास है, दुनिया को विश्वास है लेकिन जिनको खुद पर विश्वास नहीं है वे हम पर क्या विश्वास करेंगे.
- मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर कांग्रेस को इतनी शक्ति दें कि वह 2024 में फिर से अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ सके.
- कांग्रेस अगर गाली देना चाहती है तो मोदी गाली सुनने के लिए तैयार है लेकिन कांग्रेस पार्टी देश के लिए मर मिटने वाले जवानों को गाली देना बंद करे.
- कांग्रेस पार्टी आज फिर से स्थिर जनादेश को अस्थिर करने के प्रयास कर रही है.
- आप नामदार हैं और हम कामदार, हम आपकी आंख में आंख डालने की हिम्मत नहीं कर सकते.
- हम आपकी तरह सौदागर या ठेकेदार नहीं हैं, हम देश के गरीबों, युवाओं और आकांक्षी जिलों के सपनों के भागीदार हैं.
मोदी इतनी तैयारी के साथ आए थे कि जब उन्होंने अपनी मोटी नोट्स बुक का आखिरी पन्ना तक पलट लिया तभी अपने भाषण को अंत की ओर ले गए. पूरे भाषण में उन्होंने आंकड़ों के साथ यही समझाया कि वे देश का विकास करना चाहते हैं और विपक्ष विकास को रोकने के लिए उन्हें रोकना चाहता है.
मोदी का आज का भाषण उस दौर की याद दिला गया जब इंदिरा गांधी कहा करती थीं कि वे गरीबी हटाना चाहती हैं और विपक्ष उन्हें हटाना चाहता है. इंदिरा की तरह मोदी को भी अपनी लोकप्रियता पर पूरा भरोसा है. इसीलिए उन्होंने विपक्ष के लिए कामना की कि उन्हें कामयाबी मिले और 2024 में विपक्ष फिर से उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए. (एजेंसीज इनपुट सहित)
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