प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल ही में दिए गए भाषणों में बहुत ही सरल शब्दों में समझाया कि कैसे लखनऊ से गाजीपुर के बीच 23 हजार करोड़ रुपये से बनने वाला 340 किलोमीटर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे उस पूरे क्षेत्र का हुलिया बदल देगा। इस सड़क के बनने के बाद दिल्ली से गाजीपुर की दूरी कई घंटे कम हो जाएगी। घंटों तक लगने वाला जाम, बर्बाद हो रहा पेट्रोल और डीजल, पर्यावरण को नुकसान, यह सारी बातें एक्सप्रेसवे बनने के बाद बीते हुए कल की बात बन जाएगी। सबसे बड़ी बात है कि क्षेत्र के लोगों का समय बच जाएगा और यह बहुत बड़ी बात होती है। यहां का किसान हो, पशुपालक हो, बुनकर हो, मिट्टी के बर्तनों का काम करने वाला हो, हर किसी के जीवन को यह एक्सप्रेसवे नई दिशा देने वाला है, नई गति देने वाला है।
इस रोड के बन जाने से पूर्वांचल के किसानों का अनाज, फल, सब्जी, दूध कम समय में दिल्ली की मंडियों तक पहुंच पाएगा। इस पूरे एक्सप्रेसवे के इर्द-गिर्द नये उद्योग विकसित होंगे। भविष्य में यहां शिक्षण, प्रशिक्षण संस्थान, आईटीआई, मेडिकल कॉलेज जैसे तमाम संस्थाओं की संभावना बनेगी। इस क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण पौराणिक स्थान है, भगवान राम से जुड़े हुए हैं, हमारे ऋषि-मुनियों से जुड़े हुए हैं, उनका अब अधिक प्रचार-प्रसार हो पाएगा, जिससे पर्यटन बढ़ेगा। इससे यहां के युवाओं को अपने पारंपरिक कामकाज के साथ-साथ रोजगार के नये अवसर भी उपलब्ध होंगे।
प्रधानमंत्री जी ने आगे कहा कि जब सरकार की नीयत काम करने की हो और लक्ष्य विकास हो, तो काम की गति अपने आप बढ़ जाती है। फाइलों को फिर इंतजार नहीं करना पड़ा कि किसी की सिफारिश लगे और तब जा करके फाइल बढ़े। यही वजह है कि बीते चार वर्षों में उत्तर प्रदेश में नेशनल हाइवे का नेटवर्क लगभग दोगुना हो चुका है। आजादी के बाद जितना काम हुआ, उतना सिर्फ चार साल में हुआ है। अब यहां योगी जी की सरकार बनने के बाद गति और बढ़ गई है। प्रधानमंत्री जी ने बताया कि उन्होंने हमेशा सपना देखा है, हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में उड़ सके। इसलिए उड़ान योजना के तहत यह सुनिश्चित किया गया कि एक घंटे तक का सफर करने के लिए ढाई हजार रुपये से ज्यादा न खर्च करना पड़े। इसी का नतीजा है कि पिछले साल जितने लोगों ने ट्रेन के एसी कोच में सफर किया, उससे अधिक लोगों ने हवाई जहाज में यात्रा की।
मोदी ने कहा कि पहले के राजनैतिक दलों की सरकारों ने जनता और गरीब का भला नहीं, सिर्फ और सिर्फ अपना और अपने परिवार के सदस्यों का भला किया है। वोट गरीब से मांगे, वोट दलित से मांगे, वोट पिछड़ों से मांगे, उनके नाम पर सरकार बनाकर उन्होंने अपनी तिजोरियां भर ली इसके सिवा कुछ नहीं किया। आजकल जो कभी एक-दूसरे को देखना नहीं चाहते थे, पसंद नहीं करते थे, वो अब एक साथ हैं। अपने स्वार्थ के लिए यह सभी परिवारवादी पार्टियां मिल करके अब जनता के विकास को रोकने पर तुले हुए हैं। उन्हें सशक्त होने से रोकना चाहते हैं। उस अभिजात्य वर्ग को पता है कि अगर गरीब, किसान, दलित, पिछड़े सशक्त हो गए तो उनकी दुकानें हमेशा के लिए बंद हो जाएंगी।
समाजशास्त्री मानते है कि धनी और संपन्न लोग आनंद की खोज और उपभोग में लगे रहते है, जबकि निर्धन और मध्यम वर्ग जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में ही जीवन बिता देता है। अतः वे अपने विवेक का प्रयोग करने में सक्षम नहीं हो पाते जिससे सत्ता को चुनौती दे सकें। भारत के अभिजात्य वर्ग यानी एलीट क्लास ने इस वर्गों की प्रगति की राह में जानबूझकर बाधाएं खड़ी कीं। शिक्षा के क्षेत्र में मध्यम वर्ग को उलझा दिया। पहले तो आम आदमी बच्चों के एडमिशन को लेकर परेशान रहेगा, फिर उस शिक्षा को होने वाले खर्च को लेकर के चिंतित रहेगा। उसके बाद उनके बाल बेचैनी में सफेद होंगे कि उन बच्चों को किसी इंजीनियरिंग या मेडिकल कॉलेज या किसी विख्यात विश्वविद्यालय में एडमिशन मिल जाए। उसके बाद वही वर्ग अपने बच्चों की नौकरी के लिए चिंतित रहेगा और जब तक बच्चे कुछ कमाने लायक होंगे तब तक उस मध्यम वर्ग की प्रोडक्टिव जिंदगी का सर्वाधिक समय निकल जाएगा। इस साइकिल में पूरी जिंदगी निकल जाती है।
इसी प्रकार की बाधाएं उद्यम लगाने में, सफर करने में, कोई इन्नोवेशन करने में, इलाज करवाने में, हर जगह पर रोड़े लगा दिया गए जिससे आप किसी न किसी समस्या में उलझे रहें। आपका सीमित बजट शिक्षा, स्वास्थ्य, कोर्ट-कचहरी (जिसमे केस का निपटारा होने में दसियों वर्ष लग सकते है), घूस और समय बर्बादी में लगता रहे। आप 500 किलोमीटर की यात्रा ट्रेन या कार या बस से 12-14 घंटे में करेंगे, जबकि वही अभिजात्य वर्ग हवाई यात्रा करके 1 घंटे में पहुंच जाएंगे। क्या उन 11 घंटों की कोई कीमत नहीं है? क्या उन 11 घंटों को आप किसी सार्थक कार्य के लिए प्रयोग नहीं कर सकते थे? कहीं आप उन 11 घंटों का प्रयोग व्यवस्था को चुनौती देने में तो नहीं लगा देंगे? इसी प्रकार से आपके घंटे और पैसे किसी न किसी समस्या और लाइन में उलझा दिया गया।
अगर गरीबी हटानी है तो सबसे पहले भारत की राजनैतिक और आर्थिक संरचना ही बदलना हो होगा। छोटे-मोटे संशोधनों से काम नहीं चलने जा रहा। मोदी यही कर रहे हैं। वह भारत की औपनिवेशिक संरचना को बदल रहे हैं। उस औपनिवेशिक संरचना को जिसे अंग्रेजों ने उस समय के अभिजात्य वर्ग को सौंप दिया। जिसे अभिजात्य वर्ग ने अपना लिया और उसी से अपने परिवार और खानदान को राजनैतिक और आर्थिक सत्ता के शीर्ष पर बनाए रखा।
उस भ्रष्ट संरचना के क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन या रचनात्मक विनाश के बगैर भारत की प्रगति संभव नहीं है। पिछले 70 वर्षो में प्रगति केवल अभिजात्य वर्ग की हुई है। भारत की मिट्टी पर पले-बढ़े, शिक्षित और उसी धरती पर संघर्ष करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को समझिए और उसे समर्थन दीजिए।
इस रोड के बन जाने से पूर्वांचल के किसानों का अनाज, फल, सब्जी, दूध कम समय में दिल्ली की मंडियों तक पहुंच पाएगा। इस पूरे एक्सप्रेसवे के इर्द-गिर्द नये उद्योग विकसित होंगे। भविष्य में यहां शिक्षण, प्रशिक्षण संस्थान, आईटीआई, मेडिकल कॉलेज जैसे तमाम संस्थाओं की संभावना बनेगी। इस क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण पौराणिक स्थान है, भगवान राम से जुड़े हुए हैं, हमारे ऋषि-मुनियों से जुड़े हुए हैं, उनका अब अधिक प्रचार-प्रसार हो पाएगा, जिससे पर्यटन बढ़ेगा। इससे यहां के युवाओं को अपने पारंपरिक कामकाज के साथ-साथ रोजगार के नये अवसर भी उपलब्ध होंगे।
प्रधानमंत्री जी ने आगे कहा कि जब सरकार की नीयत काम करने की हो और लक्ष्य विकास हो, तो काम की गति अपने आप बढ़ जाती है। फाइलों को फिर इंतजार नहीं करना पड़ा कि किसी की सिफारिश लगे और तब जा करके फाइल बढ़े। यही वजह है कि बीते चार वर्षों में उत्तर प्रदेश में नेशनल हाइवे का नेटवर्क लगभग दोगुना हो चुका है। आजादी के बाद जितना काम हुआ, उतना सिर्फ चार साल में हुआ है। अब यहां योगी जी की सरकार बनने के बाद गति और बढ़ गई है। प्रधानमंत्री जी ने बताया कि उन्होंने हमेशा सपना देखा है, हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में उड़ सके। इसलिए उड़ान योजना के तहत यह सुनिश्चित किया गया कि एक घंटे तक का सफर करने के लिए ढाई हजार रुपये से ज्यादा न खर्च करना पड़े। इसी का नतीजा है कि पिछले साल जितने लोगों ने ट्रेन के एसी कोच में सफर किया, उससे अधिक लोगों ने हवाई जहाज में यात्रा की।
मोदी ने कहा कि पहले के राजनैतिक दलों की सरकारों ने जनता और गरीब का भला नहीं, सिर्फ और सिर्फ अपना और अपने परिवार के सदस्यों का भला किया है। वोट गरीब से मांगे, वोट दलित से मांगे, वोट पिछड़ों से मांगे, उनके नाम पर सरकार बनाकर उन्होंने अपनी तिजोरियां भर ली इसके सिवा कुछ नहीं किया। आजकल जो कभी एक-दूसरे को देखना नहीं चाहते थे, पसंद नहीं करते थे, वो अब एक साथ हैं। अपने स्वार्थ के लिए यह सभी परिवारवादी पार्टियां मिल करके अब जनता के विकास को रोकने पर तुले हुए हैं। उन्हें सशक्त होने से रोकना चाहते हैं। उस अभिजात्य वर्ग को पता है कि अगर गरीब, किसान, दलित, पिछड़े सशक्त हो गए तो उनकी दुकानें हमेशा के लिए बंद हो जाएंगी।
समाजशास्त्री मानते है कि धनी और संपन्न लोग आनंद की खोज और उपभोग में लगे रहते है, जबकि निर्धन और मध्यम वर्ग जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में ही जीवन बिता देता है। अतः वे अपने विवेक का प्रयोग करने में सक्षम नहीं हो पाते जिससे सत्ता को चुनौती दे सकें। भारत के अभिजात्य वर्ग यानी एलीट क्लास ने इस वर्गों की प्रगति की राह में जानबूझकर बाधाएं खड़ी कीं। शिक्षा के क्षेत्र में मध्यम वर्ग को उलझा दिया। पहले तो आम आदमी बच्चों के एडमिशन को लेकर परेशान रहेगा, फिर उस शिक्षा को होने वाले खर्च को लेकर के चिंतित रहेगा। उसके बाद उनके बाल बेचैनी में सफेद होंगे कि उन बच्चों को किसी इंजीनियरिंग या मेडिकल कॉलेज या किसी विख्यात विश्वविद्यालय में एडमिशन मिल जाए। उसके बाद वही वर्ग अपने बच्चों की नौकरी के लिए चिंतित रहेगा और जब तक बच्चे कुछ कमाने लायक होंगे तब तक उस मध्यम वर्ग की प्रोडक्टिव जिंदगी का सर्वाधिक समय निकल जाएगा। इस साइकिल में पूरी जिंदगी निकल जाती है।
इसी प्रकार की बाधाएं उद्यम लगाने में, सफर करने में, कोई इन्नोवेशन करने में, इलाज करवाने में, हर जगह पर रोड़े लगा दिया गए जिससे आप किसी न किसी समस्या में उलझे रहें। आपका सीमित बजट शिक्षा, स्वास्थ्य, कोर्ट-कचहरी (जिसमे केस का निपटारा होने में दसियों वर्ष लग सकते है), घूस और समय बर्बादी में लगता रहे। आप 500 किलोमीटर की यात्रा ट्रेन या कार या बस से 12-14 घंटे में करेंगे, जबकि वही अभिजात्य वर्ग हवाई यात्रा करके 1 घंटे में पहुंच जाएंगे। क्या उन 11 घंटों की कोई कीमत नहीं है? क्या उन 11 घंटों को आप किसी सार्थक कार्य के लिए प्रयोग नहीं कर सकते थे? कहीं आप उन 11 घंटों का प्रयोग व्यवस्था को चुनौती देने में तो नहीं लगा देंगे? इसी प्रकार से आपके घंटे और पैसे किसी न किसी समस्या और लाइन में उलझा दिया गया।
अगर गरीबी हटानी है तो सबसे पहले भारत की राजनैतिक और आर्थिक संरचना ही बदलना हो होगा। छोटे-मोटे संशोधनों से काम नहीं चलने जा रहा। मोदी यही कर रहे हैं। वह भारत की औपनिवेशिक संरचना को बदल रहे हैं। उस औपनिवेशिक संरचना को जिसे अंग्रेजों ने उस समय के अभिजात्य वर्ग को सौंप दिया। जिसे अभिजात्य वर्ग ने अपना लिया और उसी से अपने परिवार और खानदान को राजनैतिक और आर्थिक सत्ता के शीर्ष पर बनाए रखा।
उस भ्रष्ट संरचना के क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन या रचनात्मक विनाश के बगैर भारत की प्रगति संभव नहीं है। पिछले 70 वर्षो में प्रगति केवल अभिजात्य वर्ग की हुई है। भारत की मिट्टी पर पले-बढ़े, शिक्षित और उसी धरती पर संघर्ष करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को समझिए और उसे समर्थन दीजिए।
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