कांग्रेस के आगे नतमस्तक होने वाली पार्टियाँ आगे, और कांग्रेस उनके पीछे होने का स्पष्ट दिखाई प्रतीत हो रहा है। |
लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की रणनीति जहां 250-275 सीटों पर लड़ने की है, वहीं भाजपा ने 450 से 480 सीटों पर चुनाव लड़ने का लक्ष्य तय किया है। पार्टी हाईकमान का स्पष्ट निर्देश है कि ‘भाजपा कहीं भी टीम ‘बी’ बन कर नहीं लड़ेगी। यानी जहां गठबंधन की सरकार है, वहां भी भाजपा गठबंधन पार्टी से ज्यादा या बराबर सीटों पर लड़ेगी। पार्टी कार्यकर्ता इसी सोच के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी करें।’
कांग्रेस द्वारा मात्र 250-275 सीटों पर लड़ने का स्पष्ट अर्थ कांग्रेस द्वारा लड़ाई शुरू होने से पूर्व ही हथियार डालना माना जा रहा है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस का सत्ता सपना जनता को भ्रमित करने वाला है, जो क्षेत्रीय एवं लुप्त होने के कगार पर खड़ी पार्टियों को नई ऊर्जा देने से कम नहीं, दूसरे कांग्रेस अप्रत्यक्ष रूप से यह भी मान रही है कि जनता में कांग्रेस का जनाधार शून्य हो रहा है। स्थानीय स्तर पर भी लगता है कांग्रेस नेतृत्व का आभाव होने का श्रीगणेश हो चूका है।और शायद यही कारण है कि कांग्रेस लोकसभा तो क्या, कोई भी चुनाव अपने दम पर लड़ अन्य पार्टियों पर अपना प्रभुत्व दिखा सकने में सक्षम नहीं है। अगर कांग्रेस की यही स्थिति रही निश्चित रूप से वह दिन भी दूर नहीं, जब प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत सपना पूरा होने में अधिक समय नहीं लगेगा।
इस सन्दर्भ में निम्न लेख सत्यापित होने को लालायित है:--
2014 में 428 सीटों पर लड़ी थी चुनाव:2014 में भाजपा ने अब तक की सर्वाधिक 428 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। तब उसे 282 सीटों पर जीत मिली थी। 2019 में भाजपा का दक्षिण के राज्य तमिलनाडु पर विशेष फोकस होगा। यहां एआईएडीएमके की नेता जयललिता के निधन के बाद उनकी पार्टी कमजोर हुई है। भाजपा इसका फायदा उठाना चाह रही है। यह भी कयास हैं कि तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल में शायद ही किसी पार्टी से भाजपा चुनाव पूर्व गठबंधन करे। इन राज्यों की करीब-करीब सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार की जा रही है।
गठबंधन वाले इन पांच राज्यों में सीटें बढ़ाना चुनौती
पंजाब: 2014 में पंजाब की 13 में से 3 सीटों पर भाजपा लड़ी थी। ये सीटें अमृतसर, होशियारपुर, गुरदासपुर थी। अब पार्टी आनंदपुर साहिब, जालंधर, लुधियाना सीटों पर भी दावे का मन बना रही है।
उत्तर प्रदेश: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं अपना दल में दो गुट होने से भी भाजपा को स्थिति मुफीद नहीं लग रही।
बिहार: यहां लोक जनशक्ति पार्टी नेता रामविलास पासवान तो अपनी सीटों को लेकर आश्वस्त हैं, लेकिन राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेन्द्र कुशवाहा दबाव बना रहे हैं। कुशवाहा को यदि तीन से कम सीटें मिलती हैं तो वे गठबंधन छोड़ सकते हैं। वहीं भाजपा कम से कम यहां 20 सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है। बाकी 20 सीट जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी को देना चाहती है।
महाराष्ट्र:भाजपा ने यहां अकेले चुनाव लड़ने की बात कह दी है। भाजपा और शिवसेना का गठबंधन विधानसभा चुनाव के वक्त ही टूट चुका था। मगर चुनाव बाद दोनों दल साथ आ गए। अब फिर दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं।
आंध्रप्रदेश:विशेष राज्य के मुद्दे पर टीडीपी ने भाजपा का साथ छोड़ा। अब यहां भाजपा अकेले चुनाव लड़ेगी। भाजपा ने यहां संगठन को मजबूत करना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय महासचिव राम माधव को प्रभारी के तौर पर तैनात किया है। चुनाव बाद वाईएसआर कांग्रेस से गठबंधन भी हो सकता है।
अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति:पार्टी अधिक से अधिक सीटों पर लड़ने और अपने दम पर बहुमत हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है। सहयोगी दलों के साथ सम्मानजनक समझौता करेंगे। एनडीए के घटक दलों की संख्या भी कम न हो, यह भी प्रयास किया जा रहा है।’
भाजपा अध्यक्ष शाह ने कहा- 2019 जीतने के लिए ध्रुवीकरण करना भाजपा का एजेंडा नहीं
2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा कि हम इस बार भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे क्योंकि भाजपा विकास एजेंडे के साथ आगे बढ़ रही है। शाह ने कहा कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए धार्मिक ध्रुवीकरण हमारे एजेंडे में नहीं है।
एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जिससे राजनीतिक माहौल सांप्रदायिक रंग ले। उन्होंने मीडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि मीडिया ऐसी खबरों को लेकर ज्यादा जुनूनी है। उन्होंने कहा कि इस बार भाजपा के पक्ष में पहले से भी ज्यादा लहर है। दूर दूर तक हमें कोई चुनौती मिलती दिखाई नहीं दे रही है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष पार्टियां गठबंधन की बात तो कर रही है लेकिन उन्हें राज्यों में मतदाताओं ने नकार दिया है। इसलिए महागठबंधन ज्यादा मायने नहीं रखता है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मीडिया भगवा को ज्यादा तूल दे रहा है जबकि किसी भी घटना में हमारे नेता शामिल नहीं हैं। लेकिन मीडिया ऐसी खबरे गढ़ रहा है। अगर ऐसी बातों को तूल न मिले तो कोई ध्रुवीकरण नहीं होगा।
अमित शाह ने कहा कि हमारे पास विकास के इतने कार्यक्रम हैं हम उससे आगे बढ़ रहे हैं न कि माहौल बिगाड़कर। साथ ही कहा कि भाजपा ने देश में बहुत विकास कार्य कराए हैं। हमने साढ़े सात करोड़ घरों में शौचालय बनवाएं हैं। 19 हजार गांवों में बिजली पहुंचाई है। मुद्रा योजना, बच्चों का टीकाकरण, स्वास्थ्य बीमा और सड़क, बीमा जैसी योजनाओं से लोगों को लाभ मिला है। यह सभी योजनाएं हमें 2019 में जीत दिलाने के लिए काफी हैं।
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