झारखंड पुलिस ने दुमका से 16 प्रचारकों को गिरफ्तार किया है जिनमें 7 महिलाएं भी शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने कथित तौर पर स्थानीय निवासियों को ईसाई बनाने की कोशिश की है। साथ ही इन्होंने दुमका के जनजातिय पूजा स्थलों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणइयां भी की। इन सभी को धर्मांतरण के विरुद्ध अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है। बता दें कि यह अधिनियम राज्य में बीते वर्ष ही लागू किया गया है। इसके तहत कोई भी जबरन, प्रचार या फिर कोई लालच देकर किसी अन्य का धर्म परिवर्तन नहीं करवा सकता है।
दुमका के एसपी किशोर कौशल का कहना है कि ग्राम पंचायत की शिकायत के आधार पर शिकायत दर्ज की गई है। प्रारंभिक जांच के बाद 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह सभी धर्म प्रचारक हैं। उन्होंने कहा कि मामले में अभी आगे की जांच चल रही है। यह शिकायत फूल पाहिरी गांव के प्रधान रमेश मुर्मू ने शिकारीपुरा पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई है। यह सभी प्रचारक गुरुवार की शाम पश्चिम बंगाल से यहां बस से पहुंचे थे। मुर्मू ने अपनी शिकायत में कहा है कि यह लोग लाउड स्पीकर लगाकर गांव में लोगों को इकट्ठा कर रहे थे और फिर ईसाई धर्म के बारे में बताकर गांव वालों से इस धर्म से जुड़ने को कह रहे थे।
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब यह लोग आदिवासियों के पूजा स्थलों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे थे तो गांव वाले इन पर गुस्सा भी हुए और इन्हें ये काम बंद करने के लिए कहा। उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद गांव वालों ने पूरी रात इन सबको नजरबंद करके रखा और अगली सुबह पुलिस के हवाले कर दिया। इस दौरान किसी के भी साथ कोई शारीरिक हिंसा नहीं हुई। कौशल ने बताया कि गांव वालों का कहना है कि ये लोग पहले भी गांव में आ चुके हैं और तब भी इन्होंने ऐसे ही ईसाई धर्म का प्रचार किया था।
पुलिस के मुताबिक पूछताछ में इन लोगों ने बताया है कि यह तमिलनाडु स्थित एक संगठन से जुड़े हैं। जिसकी आगे जांच की जाएगी। इन्हें धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2017 और भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए (धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करना) के तहत गिरफ्तार किया गया है। इस अधिनियम के तहत तीन साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं अगर पीड़ित कोई नाबालिग, महिला, बुजुर्ग या फिर कोई आदिवासी जाति या जनजाति का है तो चार साल की सजा और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
दुमका के एसपी किशोर कौशल का कहना है कि ग्राम पंचायत की शिकायत के आधार पर शिकायत दर्ज की गई है। प्रारंभिक जांच के बाद 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह सभी धर्म प्रचारक हैं। उन्होंने कहा कि मामले में अभी आगे की जांच चल रही है। यह शिकायत फूल पाहिरी गांव के प्रधान रमेश मुर्मू ने शिकारीपुरा पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई है। यह सभी प्रचारक गुरुवार की शाम पश्चिम बंगाल से यहां बस से पहुंचे थे। मुर्मू ने अपनी शिकायत में कहा है कि यह लोग लाउड स्पीकर लगाकर गांव में लोगों को इकट्ठा कर रहे थे और फिर ईसाई धर्म के बारे में बताकर गांव वालों से इस धर्म से जुड़ने को कह रहे थे।
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब यह लोग आदिवासियों के पूजा स्थलों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे थे तो गांव वाले इन पर गुस्सा भी हुए और इन्हें ये काम बंद करने के लिए कहा। उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद गांव वालों ने पूरी रात इन सबको नजरबंद करके रखा और अगली सुबह पुलिस के हवाले कर दिया। इस दौरान किसी के भी साथ कोई शारीरिक हिंसा नहीं हुई। कौशल ने बताया कि गांव वालों का कहना है कि ये लोग पहले भी गांव में आ चुके हैं और तब भी इन्होंने ऐसे ही ईसाई धर्म का प्रचार किया था।
पुलिस के मुताबिक पूछताछ में इन लोगों ने बताया है कि यह तमिलनाडु स्थित एक संगठन से जुड़े हैं। जिसकी आगे जांच की जाएगी। इन्हें धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2017 और भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए (धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करना) के तहत गिरफ्तार किया गया है। इस अधिनियम के तहत तीन साल की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं अगर पीड़ित कोई नाबालिग, महिला, बुजुर्ग या फिर कोई आदिवासी जाति या जनजाति का है तो चार साल की सजा और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
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