आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
राहुल गांधी की बुद्धिमता के चर्चे हम लोग रोजाना सुनते ही रहते हैं, कभी वह आलू डालकर मशीन में से सोना निकालते हैं कभी किसानों के लिए आलू की फैक्ट्री की बात करते हैं, कभी दिन को रात बोल कर सो कर उठते हैं, कभी दिन में ही बिचला जाते हैं। राहुल गांधी के साथ-साथ कांग्रेस समर्थक भी उनकी नकल करने में दिन रात लगे रहते हैं, हालांकि राहुल गांधी को पागलपंती करने में कोई नहीं हरा सकता।
लोकसभा चुनाव का दौर आने वाला है, प्रदेशों के चुनाव में: चुनाव से पहले ईवीएम हैक व चुनाव के बाद चुपचाप घर में बैठ जाना, कांग्रेस का हर बार का नियम बन गया है। हारे तो ईवीएम पर दोष डाल दो, थोड़ी ठीक सीट आई तो गठबंधन की सरकार बना लो, चित भी मेरी पट भी मेरी वाला मुहावरा कांग्रेस नहीं सही साबित करके दिखा दिया है।
अभी कुछ ही समय पहले कांग्रेस की इंटरनल कोर कमेटी ने, इंटरनाली एक इंटरनल सर्वे का आयोजन किया, जिसके अनुसार सौ परसेंट कांग्रेसियों ने उस में भाग लिया और वोट दिए, आश्चर्य और हंसी की बात यह है कि सौ पर्सेंट कांग्रेसियों में से केवल 39.8% कांग्रेसियों ने राहुल गांधी के लिए वोट किया, यह सर्वे प्रधानमंत्री पद के लिए पहली पसंद कौन है को मद्देनजर रखते हुए किया गया था।
कांग्रेस का सर्वे था उम्मीद थी कि कांग्रेस के कैंडिडेट राहुल गांधी ही कम से कम 70 परसेंट वोट ले जाएंगे और प्रधानमंत्री बनने की लाइन में लग जाएंगे, लेकिन यहां भी कांग्रेसियों ने राहुल गांधी को धोखा दे दिया, अपने मां-बाप कर्ताधर्ता राहुल गांधी को केवल 39 प्रतिशत वोट दिए, जबकि मोदी जी को 35 प्रतिशत से भी ज्यादा वोट मिले, आश्चर्य की बात तो यह थी कि कांग्रेसियों ने अरविंद केजरीवाल को भी 10 प्रतिशत वोट से नवाजा।
अपनी पार्टी के इंटरनल सर्वे में राहुल गांधी नहीं जीत पा रहे हैं, मेजोरिटी वोट्स हासिल नहीं कर पा रहे हैं, तो देश में भला उन्हें कौन पूछेगा, विषय चिंताजनक है।
अवलोकन करें:--
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार औरंगजेब, अन्य मुगलों तथा मुस्लिम हमलावरों ने भारत
कई बार अपने लेखों में लिखा कि कांग्रेस को अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए परिवार से बाहर किसी अन्य को पार्टी अध्यक्ष बनाना चाहिए। क्योंकि परिवार की हिन्दू विरोधी सोंच जगजाहिर होने से कांग्रेस की हिन्दू विरोधी पार्टी की सोंच ने कांग्रेस को पाताल की ओर अग्रसर कर दिया है।
जहाँ तक अरविन्द केजरीवाल का प्रश्न है, उनकी तो शुरू से ही हिन्दू विरोधी छवि बन चुकी है। दिल्ली से बाहर किसी दलित अथवा मुस्लिम की हत्या होने पर भागे जाते हैं, लेकिन विकासपुरी दिल्ली में जब मुसलमानों द्वारा एक निर्दोष डॉ नारंग की हत्या किये जाने पर साँप सूंघ जाने पर असलियत जगजाहिर हो जाती है। कभी इनके मंत्री हिन्दू द्वारा लकड़ियों में दाह संस्कार करने पर प्रश्न लगाते हैं, तो कुछ नहीं बोलते। वैसे भी आम आदमी पार्टी सोनिया गाँधी यानि कांग्रेस ही की देन है। वैसे भी राहुल गाँधी की भाँति अरविन्द केजरीवाल राजनीती में असफल ही हैं।
राहुल गांधी की बुद्धिमता के चर्चे हम लोग रोजाना सुनते ही रहते हैं, कभी वह आलू डालकर मशीन में से सोना निकालते हैं कभी किसानों के लिए आलू की फैक्ट्री की बात करते हैं, कभी दिन को रात बोल कर सो कर उठते हैं, कभी दिन में ही बिचला जाते हैं। राहुल गांधी के साथ-साथ कांग्रेस समर्थक भी उनकी नकल करने में दिन रात लगे रहते हैं, हालांकि राहुल गांधी को पागलपंती करने में कोई नहीं हरा सकता।
लोकसभा चुनाव का दौर आने वाला है, प्रदेशों के चुनाव में: चुनाव से पहले ईवीएम हैक व चुनाव के बाद चुपचाप घर में बैठ जाना, कांग्रेस का हर बार का नियम बन गया है। हारे तो ईवीएम पर दोष डाल दो, थोड़ी ठीक सीट आई तो गठबंधन की सरकार बना लो, चित भी मेरी पट भी मेरी वाला मुहावरा कांग्रेस नहीं सही साबित करके दिखा दिया है।
अभी कुछ ही समय पहले कांग्रेस की इंटरनल कोर कमेटी ने, इंटरनाली एक इंटरनल सर्वे का आयोजन किया, जिसके अनुसार सौ परसेंट कांग्रेसियों ने उस में भाग लिया और वोट दिए, आश्चर्य और हंसी की बात यह है कि सौ पर्सेंट कांग्रेसियों में से केवल 39.8% कांग्रेसियों ने राहुल गांधी के लिए वोट किया, यह सर्वे प्रधानमंत्री पद के लिए पहली पसंद कौन है को मद्देनजर रखते हुए किया गया था।
कांग्रेस का सर्वे था उम्मीद थी कि कांग्रेस के कैंडिडेट राहुल गांधी ही कम से कम 70 परसेंट वोट ले जाएंगे और प्रधानमंत्री बनने की लाइन में लग जाएंगे, लेकिन यहां भी कांग्रेसियों ने राहुल गांधी को धोखा दे दिया, अपने मां-बाप कर्ताधर्ता राहुल गांधी को केवल 39 प्रतिशत वोट दिए, जबकि मोदी जी को 35 प्रतिशत से भी ज्यादा वोट मिले, आश्चर्य की बात तो यह थी कि कांग्रेसियों ने अरविंद केजरीवाल को भी 10 प्रतिशत वोट से नवाजा।
अपनी पार्टी के इंटरनल सर्वे में राहुल गांधी नहीं जीत पा रहे हैं, मेजोरिटी वोट्स हासिल नहीं कर पा रहे हैं, तो देश में भला उन्हें कौन पूछेगा, विषय चिंताजनक है।
अवलोकन करें:--
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार औरंगजेब, अन्य मुगलों तथा मुस्लिम हमलावरों ने भारत
कई बार अपने लेखों में लिखा कि कांग्रेस को अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए परिवार से बाहर किसी अन्य को पार्टी अध्यक्ष बनाना चाहिए। क्योंकि परिवार की हिन्दू विरोधी सोंच जगजाहिर होने से कांग्रेस की हिन्दू विरोधी पार्टी की सोंच ने कांग्रेस को पाताल की ओर अग्रसर कर दिया है।
जहाँ तक अरविन्द केजरीवाल का प्रश्न है, उनकी तो शुरू से ही हिन्दू विरोधी छवि बन चुकी है। दिल्ली से बाहर किसी दलित अथवा मुस्लिम की हत्या होने पर भागे जाते हैं, लेकिन विकासपुरी दिल्ली में जब मुसलमानों द्वारा एक निर्दोष डॉ नारंग की हत्या किये जाने पर साँप सूंघ जाने पर असलियत जगजाहिर हो जाती है। कभी इनके मंत्री हिन्दू द्वारा लकड़ियों में दाह संस्कार करने पर प्रश्न लगाते हैं, तो कुछ नहीं बोलते। वैसे भी आम आदमी पार्टी सोनिया गाँधी यानि कांग्रेस ही की देन है। वैसे भी राहुल गाँधी की भाँति अरविन्द केजरीवाल राजनीती में असफल ही हैं।
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