बीच की दोनों तस्वीरें गौरी लंकेश के हत्यारों की हैं। इन तस्वीरों को कर्नाटक पुलिस ने जारी किया था। हैरानी की बात है कि जिन लोगों को पकड़ा गया है वो इनके जैसे बिल्कुल भी नहीं दिखते। |
कहते हैं कि आदमी ठोकर खाकर संभलता है, लेकिन जब विनाश काले विपरीत बुद्धि हो गयी हो, तो ऐसे में कांग्रेस को कौन समझा सकता है। इतना ही नहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे भूतपूर्व महामहिम प्रणब मुख़र्जी ने भी स्पष्ट से अपनी पुस्तक में सोनिया गाँधी के हिन्दू विरोधी होने की बात कही है।
जैसाकि पूर्व में अपने कई लेखों में कांग्रेस के विभाजित होने के विषय में लिखता रहा हूँ कि 2019 चुनाव से पूर्व या बाद में केवल जयचन्दी हिन्दू ही कांग्रेस में रहेंगे। कांग्रेस को छोड़ने वाले हिन्दू या तो भाजपा की ओर रुख करेंगे या राजनीती से दूर हो जाएंगे। अयोध्या में राममन्दिर जीणोद्धार 2019 चुनाव से पूर्व प्रारम्भ होगा या बाद में, लेकिन 2014 चुनाव परिणामों ने भारत में हिन्दू राष्ट्र की नीव रख दी है। पिछली सरकार द्वारा जितने भी हिन्दू विरोधी कानूनों की रुपरेखा आदि लगभग दफ़न हो चुके हैं, और बाकि की कसर है, वह 2019 के बाद पूरी हो जाएगी। "हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े-लिखे को फ़ारसी क्या", जून 19 को देशहित में जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से हाथ पीछे खींचना इसका प्रमाण है। जिस काम को तुष्टिकरण की जय बोलने वाली 2014 से पूर्व तक की सरकारें कश्मीर में करने से डर रही थीं, अब यह सरकार करने जा रही है। कश्मीर को आतंकवाद मुक्त करने का समय आ गया है।
कर्नाटक की पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में जिस तरह से हिंदू संगठनों को फंसाने की कोशिश हो रही है उसे लेकर अंदर ही अंदर बेचैनी बढ़ रही है। ऐसा शक जताया जा रहा है कि कर्नाटक की सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से ‘हिन्दू आतंकवाद’ के अपने दावे को सही साबित करने में जुट गई है। गौरी लंकेश की हत्या के बाद यह बात सामने आई थी कि इसके पीछे नक्सलियों का हाथ है। लेकिन कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले हिन्दू संगठनों को घेरने का काम शुरू कर दिया गया। अब पता चला है कि इस केस में जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है उन्हें टॉर्चर करके गुनाह कबूल करवाया जा रहा है। यह बात भी सामने आई है कि आरोपियों की गिरफ्तारी में न्यायिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस शिकायत पर मजिस्ट्रेट से रिपोर्ट मांगी है। कर्नाटक में भले ही जेडीएस और कांग्रेस की मिलीजुली सरकार है, माना जाता है कि पुलिस और प्रशासनिक तंत्र पर अब भी कांग्रेस का कब्जा है।
हिंदू संगठनों के खिलाफ साजिश!
दोबारा सत्ता में आते ही कांग्रेस ने हिंदू जनजागृति समिति और श्रीराम सेना को टारगेट करना शुरू कर दिया। कर्नाटक पुलिस की एसआईटी के हाथ अब तक कोई सबूत नहीं लगा है, लिहाजा मीडिया में फर्जी खबरें छपवाकर हिंदू संगठनों के खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया गया। पुलिस ने परशुराम वाघमोरे नाम के एक शख्स को गिरफ्तार करके उससे हत्या का गुनाह कबूल भी करवा लिया। लेकिन पुलिस की थ्योरी में कई गड़बड़ियां साफ दिखाई दे रही हैं।
----------------------------------------------
उन्होंने कहा , ‘‘यह आदेश प्राप्त होने से 10 दिन के भीतर वे आरोपों के बारे में रिपोर्ट जमा करें। अधिवक्ता एनपी अमृतेश ने एक शपथपत्र में आरोप लगाया है कि मामले के आरोपियों में से एक अमोल काले को हिरासत में पुलिस अधिकारियों ने पीटा , उसके गालों पर थप्पड और घूंसे मारे। उन्होंने दावा किया कि, मजिस्ट्रेट पुलिस हिरासत के दौरान किसी व्यक्ति के संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करने में विफल रहे।
अधिवक्ता लंकेश हत्याकांड में गिरफ्तार किए गए आरोपी काले , सुजीत कुमार , अमित रामचंद्र देगवेकर और मनोहर इदावे का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मेजिस्ट्रेट को 14 जून को सूचित किया गया था कि पुलिस ने आरोपियों में से एक को यातनायें दी हैं लेकिन उन्होंने चिकित्सा जांच का आदेश नहीं दिया। उन्होंने कहा , ‘इसके बजाए मेजिस्ट्रेट ने केवल उनके शरीर पर जख्मों को दर्ज किया।’’
अधिवक्ता ने कहा कि, अन्य आरोपियों को हिरासत में यातनायें दिये जाने के बारे में 31 मई को तृतीय एसीएमएम के यहां शिकायत की गई थी किंतु उसे भी नजरंदाज किया गया।
उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया है कि, प्रत्येक आरोपी मेडिकल जांच कराने और पुलिस द्वारा उन्हें गैरकानूनी हिरासत में रखकर यातना देने के मामले की जांच का निर्देश दिया जाये।
उन्होंने अदालत के बंद कक्ष में प्रत्येक आरोपी का बयान दर्ज का मजिस्ट्रेट को निर्देश देने के साथ ही आरोपिरयों को 25-25 लाख रूपये का मुआवजा दिलाने का भी अनुरोध किया है।
----------------------------------------------------------------
दावा किया जा रहा है कि वाघमोरे ने कहा है कि मैंने हिंदू धर्म को बचाने के लिए गौरी लंकेश की हत्या की। इसके लिए उसे 13 हजार रुपये दिए गए। यह अपने आप में बताता है कि एसआईटी की कहानी में क्या गड़बड़ है। दरअसल जांच में आरोपियों के पास कोई पैसा भेजे जाने या खर्च होने की कोई पुष्टि नहीं हुई है, इसलिए 13 हजार रुपये की मामूली रकम बताई गई है। पुलिस ने अब तक कुल 4 लोगों को पकड़ा है, लेकिन हत्या में इस्तेमाल हथियार से लेकर घटनाक्रम पर कुछ भी जानकारी देने में नाकाम रही है।
----------------------------------------------
उच्च न्यायालय ने आरोपियों को हिरासत में यातना देने के आरोपों पर रिपोर्ट मांगी
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गौरी लंकेश हत्याकांड के चार आरोपियों को पुलिस हिरासत में यातना दिए जाने और न्यायिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने के आरोपों के बारे में दो मजिस्ट्रेट न्यायालयों को एक रिपोर्ट पेश करने का आज निर्देश दिया। न्यायमूर्ति केएन फणीन्द्र ने कल इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि, आरोप गंभीर किस्म के हैं और उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह प्रथम एवं तृतीय अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट न्यायालयों (एसीएमएम) के मजिस्ट्रेट को इस आदेश से अवगत करायें।उन्होंने कहा , ‘‘यह आदेश प्राप्त होने से 10 दिन के भीतर वे आरोपों के बारे में रिपोर्ट जमा करें। अधिवक्ता एनपी अमृतेश ने एक शपथपत्र में आरोप लगाया है कि मामले के आरोपियों में से एक अमोल काले को हिरासत में पुलिस अधिकारियों ने पीटा , उसके गालों पर थप्पड और घूंसे मारे। उन्होंने दावा किया कि, मजिस्ट्रेट पुलिस हिरासत के दौरान किसी व्यक्ति के संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करने में विफल रहे।
अधिवक्ता लंकेश हत्याकांड में गिरफ्तार किए गए आरोपी काले , सुजीत कुमार , अमित रामचंद्र देगवेकर और मनोहर इदावे का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मेजिस्ट्रेट को 14 जून को सूचित किया गया था कि पुलिस ने आरोपियों में से एक को यातनायें दी हैं लेकिन उन्होंने चिकित्सा जांच का आदेश नहीं दिया। उन्होंने कहा , ‘इसके बजाए मेजिस्ट्रेट ने केवल उनके शरीर पर जख्मों को दर्ज किया।’’
अधिवक्ता ने कहा कि, अन्य आरोपियों को हिरासत में यातनायें दिये जाने के बारे में 31 मई को तृतीय एसीएमएम के यहां शिकायत की गई थी किंतु उसे भी नजरंदाज किया गया।
उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया है कि, प्रत्येक आरोपी मेडिकल जांच कराने और पुलिस द्वारा उन्हें गैरकानूनी हिरासत में रखकर यातना देने के मामले की जांच का निर्देश दिया जाये।
उन्होंने अदालत के बंद कक्ष में प्रत्येक आरोपी का बयान दर्ज का मजिस्ट्रेट को निर्देश देने के साथ ही आरोपिरयों को 25-25 लाख रूपये का मुआवजा दिलाने का भी अनुरोध किया है।
----------------------------------------------------------------
दावा किया जा रहा है कि वाघमोरे ने कहा है कि मैंने हिंदू धर्म को बचाने के लिए गौरी लंकेश की हत्या की। इसके लिए उसे 13 हजार रुपये दिए गए। यह अपने आप में बताता है कि एसआईटी की कहानी में क्या गड़बड़ है। दरअसल जांच में आरोपियों के पास कोई पैसा भेजे जाने या खर्च होने की कोई पुष्टि नहीं हुई है, इसलिए 13 हजार रुपये की मामूली रकम बताई गई है। पुलिस ने अब तक कुल 4 लोगों को पकड़ा है, लेकिन हत्या में इस्तेमाल हथियार से लेकर घटनाक्रम पर कुछ भी जानकारी देने में नाकाम रही है।
साजिश में शामिल सेकुलर मीडिया
जो संकेत मिल रहे हैं उनके मुताबिक कांग्रेस पार्टी की इस साजिश में सेकुलर मीडिया खुलकर साथ दे रहा है। इसी के तहत हर उस व्यक्ति को निशाना बनाया जा रहा है जो पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठाने की कोशिश कर रहा है। कुछ स्थानीय लोगों ने आरोपियों की कानूनी मदद के लिए पैसे जुटाना शुरू किया तो उसके खिलाफ दिल्ली के अखबारों में लंबे-लंबे लेख लिखे गए। इसी तरह श्रीराम सेना के प्रमोद मुतालिक के बयान को खूब तूल दिया गया, ताकि इसी बहाने बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी का नाम उछाला जा सके। ये हालत तब है जब मीडिया कर्नाटक में मौलाना तनवीर हाशमी ने बयान दिया कि “बकरीद पर गाय काटी जाएंगी और किसी ने मना किया तो वो भी काटा जाएगा।” मीडिया ने उस बयान को कोई तवज्जो नहीं दी। क्योंकि मंच पर कांग्रेस पार्टी मंत्री शिवानंद पाटिल बैठा हुआ था।
गौरी लंकेश की हत्या 5 सितंबर 2017 को गोली मारकर कर दी गई थी। शुरुआत में यह बात सामने आई थी कि हत्या में नक्सलियों का हाथ है। आरोप है कि तब चुनाव को देखते हुए कांग्रेस सरकार ने जांच को धीमा करवा दिया था और अब जब वो एक बार फिर से सत्ता में है उसने अपना असली खेल शुरू कर दिया है। हिंदू आतंकवाद को लेकर कांग्रेस के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए इस बार भी उसकी नीयत ठीक नहीं लग रही है।
Comments