ब्लैकमनी और बेनामी प्रॉपर्टी के खिलाफ कड़े कदम उठाने का दावा करने वाली मोदी सरकार की मंशा सवालों के घेरे में है। यह सवाल इसलिए पैदा हुए हैं क्योंकि मोदी सरकार बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन एक्ट के जरूरी एडजुकेटिंग अथॉरिटी का गठन अब तक नहीं कर सकी है जबकि कानून को लागू हुए 1.5 साल बीत गए हैं। इससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा अटैच की गई 780 से अधिक बेनामी प्रॉपर्टी के इनवैलिडेट होने का खतरा पैदा हो गया है। अटैच प्रॉपर्टी को जब्त करने का फैसला एडजुकेटिंग अथॉरिटी ही कर सकती है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार में बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए जरूरी इच्छा शक्ति का अभाव है। क्या सरकार बड़े नेताओं, नौकरशाहों, बिजनेसमैन और प्रभावशाली लोगों के दबाव में है? आम तौर पर माना जाता है कि भ्रष्टाचार से कमाए गए काले धन को लोग बेनामी प्रॉपर्टी में लगाते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में प्रधानमन्त्री मोदी बेनामी प्रॉपर्टी पर एक्शन के लिहाज से सुस्त क्यों दिख रहे हैं? इन बेनामी प्रॉपर्टी पर कोई कार्यवाही न करना, क्या अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना माना जाए?
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार में बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए जरूरी इच्छा शक्ति का अभाव है। क्या सरकार बड़े नेताओं, नौकरशाहों, बिजनेसमैन और प्रभावशाली लोगों के दबाव में है? आम तौर पर माना जाता है कि भ्रष्टाचार से कमाए गए काले धन को लोग बेनामी प्रॉपर्टी में लगाते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में प्रधानमन्त्री मोदी बेनामी प्रॉपर्टी पर एक्शन के लिहाज से सुस्त क्यों दिख रहे हैं? इन बेनामी प्रॉपर्टी पर कोई कार्यवाही न करना, क्या अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना माना जाए?
चुनावों के दिनों में पिछली सरकारों की भाँति कार्यवाही का ढोल पीटा जाएगा, लेकिन देश का धन वापस नहीं आएगा। अब जनता के मष्तिक में भी यह बात घर कर चुकी है कि हमाम में नंगे सारे नेता हैं। महँगाई हो, भ्रष्टाचार हो, या फिर काला धन कोई सरकार कुछ नहीं करने वाली। जनता है ही लूटने-पिटने के लिए।
जहाँ तक भ्रष्टाचार दूर करने की बात है, जनता जानना चाहती है, क्या जहाँ-जहाँ भाजपा सरकारें हैं, वहां से भ्रष्टाचार क्या दूर हुआ है? दिल्ली में केन्द्र सरकार की नाक के नीचे नगर निगम में भाजपा का कितने वर्षों से अधिकार है, क्या नगर निगम से .00001 प्रतिशत भी भ्रष्टाचार दूर हुआ है? क्या केन्द्रीय नेतृत्व ने अपने तीनो मेयर और मुख्यमन्त्रियों से पूछा, कि "क्यों नगर निगम से और तुम्हारे राज्यों से भ्रष्टाचार दूर हुआ?"
अवलोकन करें:--शक के दायरे में मोदी सरकार की नीयत
इकोनॉमिस्ट और जेएनयू के प्रोफेसर प्रोफेसर अरुण कुमार ने moneybhaskar.com को बताया कि बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के तहत 1.5 साल के बाद भी एडजुकेटिंग अथॉरिटी का गठन न होने से यह साफ पता चलता है कि मोदी सरकार कालेधन और बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों पर सख्त कदम नहीं उठाना चाहती है। पीएम मोदी नोटबंदी के बाद खुद कई बार बेनामी प्रॉपर्टी के खिलाफ अभियान चलाने की बात कह चुके हैं, लेकिन जमीन पर ऐसा कुछ दिखता नहीं है। शायद मोदी सरकार को लगता है कि ऐसा करने से उनके नेता और करीबी लोग ही फंस सकते हैं। ऐसे में काले धन को लेकर मोदी सरकार की नीयत पर भी सवाल उठते हैं।
प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार 1986 में बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों के खिलाफ एक्शन के लिए एक कानून का मसौदा लेकर आई थी लेकिन इसे संसद से पारित नहीं कराया जा सका। पीएम मोदी ने खुद कई बार कहा है कि कांग्रेस ने जानबूझ कर इस कानून को लटका कर रखा। उन्होंने कांग्रेस पर बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों की रक्षा करने का आरोप भी लगाया। अब मोदी सरकार ने बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट को संसद में पारित कराके लागू तो कर दिया है लेकिन जरूरी एडजुकेटिंग अथॉरिटी न बना कर क्या वे इस कानून को कमजोर नहीं कर रहे हैं। ऐसे में इसे बेनामी प्रॉपर्टी पर पीएम मोदी का राजीव गांधी मोमेंट भी कहा जा सकता है। 1986 के मसौदे को लेकर पीएम मोदी कांग्रेस को शर्मिदा करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं। ऐसे में मोदी सरकार ने अब विपक्ष को भी एक बड़ा मौका दे दिया है।
नोटबंदी के बाद बेनामी प्रॉपर्टी पर शिकंजा कसने का वादा
मोदी सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू की थी। मोदी सरकार का दावा था कि इससे कैश के तौर पर काला धन रखने वाले लोग सिस्टम की पकड़ में आएंगे। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मोदी सरकार ने कहा था कि बड़े पैमाने पर काला धन बेनामी प्रॉपर्टी में लगा हुआ है। अब सरकार बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों पर शिकंजा कसेगी। लेकिन नोटबंदी हुए भी 1.5 साल से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन ऐसा नहीं लगता है कि सरकार बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों के खिलाफ कोई बड़ा अभियान चला रही है। हालांकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रूटीन में अपने स्तर पर कुछ कदम उठा रहा है लेकिन इससे बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों में कोई खास डर पैदा हुआ है हो। ऐसा नहीं लगता है।
नहीं दिखती है सरकार की गंभीरता
इकोनॉमिस्ट पई पनिंदकर का कहना है कि बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के तहत अब तक अथॉरिटी का गठन न होना यह दिखाता है कि सरकार बेनामी प्रॉपर्टी को लेकर गंभीर नहीं है। अगर सरकार बेनामी प्रॉपर्टी पर सख्त कदम उठाती है तो बड़े नौकरशाह से लेकर सांसद विधायक सब फंसेंगे। ऐसे में किसी भी सरकार के लिए इस मोचे पर बड़ा कदम उठाना आसान नहीं है लेकिन मोदी खुद दावा करते रहे हैं कि वे बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों के खिलाफ एक्शन लेंगे। लेकिन अब वे अपनी बात पर खरे नहीं उतर रहे हैं।
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