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Showing posts from January, 2017

भारतीय हित में चीन उत्पादनों का बहिष्कार

स्वदेशी जागरण मंच, झंडेवाला विभाग की यशवंत सिंह चौहान की अध्यक्षता में  29 जनवरी 2017 को चौधरी रमेश नम्बरदार जी के गाँव दसघरा स्थित निवास स्थान पर मासिक बैठक  हुई। जिसमे पूर्व निगम पार्षद सतीश महरौलिया, पवन शर्मा, मनोहर लाल उर्फ़ बाबा, देवेन्द्र यादव, श्रीमति जयश्री, डॉ मनीष अग्रवाल   एवं   अमर कनौजिया आदि के अतिरिक्त अन्य जागरण मंच के पदाधिकारी सम्मिलित हुए।  चीन द्धारा हर राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद समर्थक पाकिस्तान का समर्थन कर  भारत का विरोध किये जाने को  प्रचण्ड रूप देने के उद्देश्य से जागरण मंच इतना मंथन करता प्रतीत हो रहा है।       वास्तव में, बैठक में माननीय कश्मीरी लाल जी,राष्ट्रीय संघटक,स्वदेशी जागरण मंच के 09 फरवरी को विभाग में प्रवास के कार्यक्रमों की रूपरेखा  प्रभात फेरी, गोष्ठी आदि का जैसे आयोजन की रुपरेखा  तय की गई।  यशवंत ने उपस्थित सदस्यों को जनता में चीनी उत्पादों से देश की अर्थव्यवस्था के अलावा बेरोजगारी आदि के दुष्परिणामों से  जागृत कर, केवल स्वदेशी उत्पादों का प्रयोग करने के सन्देश को भारतीय जनमानस तक पहुँचाने का आग्रह किया। जिससे भारत की अर्थव्यवस्था ही सुदृढ़ न

कला और अभिव्यक्ति की आड़ में भारतीय वीर-वीरांगनाओं का अपमान

  विनोद बंसल (राष्ट्रीय प्रवक्ता-विहिप) कहा जाता है कि किसी देश को भीतर से खोखला करना हो   तो उसके इतिहास के गौरव शाली पलों को मिटा कर जनता में अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान समाप्त कर दो व्यक्ति का स्वाभिमान अपने आप दम तोड़ देगा और    फिर उस के ऊपर ऐसी शिक्षा व्यवस्था लागू करो कि वह सदा आपका ही गुणगान करे. लार्ड मैकाले की शिक्षा व्यवस्था का मूल मंत्र यही तो था जिस कारण पूर्ण स्वावलंबी सोने की चिड़िया के रूप में जाना जाने वाला भारत अंग्रेजों के जाते जाते टीचर प्रोफ़ेसर लेक्चरर प्रिंसीपल उस्ताद मौलवी इत्यादि तो बहुत सारे दे गए किन्तु आचार्य यानि आचारवान व्यक्तियों का अभाव हो गया. अंग्रेजों के जाने के बाद भी हमारी शिक्षा, संस्कार, स्वाभिमान, इतिहास तथा महापुरुषों की गौरवशाली परम्पराओं को नष्ट करने के कुचक्र आजकल नित नए तरीकों से चलाए जा रहे हैं. कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, कभी कला की आजादी, तो कभी खाने की आजादी की आड़ में आजकल नए-नए षडयंत्र हमारे धार्मिक, सामाजिक, ऐतिहासिक तथा आध्यात्मिक मान बिन्दुओं पर छद्म हमले कर अपनों को अपनों से ही दूर ले जा रहे हैं. अभी ताजा-ताजा उदाहरण प्रसिद्ध

सोशल मीडिया देती भंसाली को इतिहास का ज्ञान

रानी पद्मावती का शौर्यपूर्ण इतिहास रानी पद्मावती चित्तौड़ की रानी थी। रानी पद्मावती के साहस और बलिदान की गौरवगाथा इतिहास में अमर है। सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मावती की शादी चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ हुई थी। रानी पद्मावती बहुत खूबसूरत थी और उनकी खूबसूरती पर एक दिन दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की बुरी नजर पड़ गई। रानी पद्मावती को पाने की ललक में खिलजी ने चित्‍तौड़ पर आक्रमण की ठानी। खिलजी ने एक चाल चली और रतनसिंह को पत्र लिख कर कहा की रानी पद्मावती को वह अपनी बहन समान मानता हैं और एक बार उनके दर्शन करना चाहता हैं इस पर रतनसिंह ने सहमती जताई और रानी पद्मावती कांच में अपना चेहरा दिखाने को राजी हो गईं। रानी पद्मावती की सुन्दरता देखकर खिलजी पागल सा हो गया और उसने राजा रतनसिंह को बंदी बना लिया राजा रतनसिंह को बंदी बनाने की खबर ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दी। चित्‍तौड़ की सेना अपने राजा को मुक्‍त कराने के लिए योजना बनाने लगी। अगले दिन सुबह होते ही 150 सैनिक पालकी के साथ रतनसिंह की सेना के सेनापति गोरा और बादल खिलजी के किले की तरफ बढ़ चले। इन प

आखिर कब तक इतिहास से खिलवाड़ किया जाता रहेगा ?

इतिहास पर फिल्म निर्मित करना कोई गलत काम नहीं है। ताकि जनता को इतिहास के उन तथ्यों को जानने का अवसर मिले, जिन्हें कुंठित इतिहासकारों ने चन्द चांदी के टुकड़ों की खातिर धरती में दबा दिया है। लेकिन कुंठित इतिहास पर फिल्म को चर्चित करने के लिए इतिहास से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। फिल्म निर्मित करनी है तो वास्तविक इतिहास पर करो।  क्या भारत से बाहर किसी भी देश में कोई इतिहासकार या फ़िल्मकार देश के इतिहास के साथ खिलवाड़ करने का साहस कर सकता है? लेकिन यह संभव है केवल भारत में। जहाँ आक्रमणकारियों के इतिहास का पढ़ाया जाता है, उस पर टिप्पणी करने वालों को साम्प्रदायिक घोषित कर दिया जाता है। जैसाकि कल (जनवरी 28 को) राजस्थान में लीला भंसारी के साथ दुर्व्यवहार करने को हिन्दू आतंकवाद का नाम दे दिया गया।  शर्म आती है, ऐसी ओछी मानसिकता वालों को भारतीय कहने पर। यदि किसी विदेश में ऐसी घटना घटित हुई होती, सरकार द्धारा ही इतिहास से छेड़छाड़ करने वालों पर सख्त कार्यवाही हो गयी होती।   क्या कोई फ़िल्मकार या इतिहासकार राष्ट्र को यह सच्चाई बताने का साहस कर पाएगा कि "अकबर के दरबार में कोई अनारकली थी ? या  किसी

रानी पद्मावती का अपमान भारी पडेगा : विहिप

नई दिल्ली जनवरी २९, २०१७. चित्तौड की रानी पद्मावती पर भंसाली प्रोडक्शन द्वारा फिल्माई जा रही फिल्म में राजपूत वीर रानी पद्मिनी/पद्मावती  के चरित्र को गलत तरीके से दिखाए जाने के प्रयास को विश्व हिन्दू परिषद ने गम्भीरता से लेते हुए चेतावनी दी है कि यदि इस फिल्म में ऐसा कुछ हुआ तो इसके गम्भीर परिणाम होंगे. परिषद की महिला शाखा मातृशक्ति की प्रमुख श्रीमती मीनाक्षी ताई पेशवे तथा दुर्गा वाहिनी की राष्ट्रीय संयोजिका माला रावल ने एक संयुक्त बयान जारी कर चेताया है कि इतिहास के नाम पर धंधा करने वाले कुछ विदेशी व वामपंथी तथा-कथित इतिहासकारों के कुकृत्यों की आड़ में राजस्थान की गौरवशाली राजपूत परम्परा का अपमान कदापि बरदास्त नहीं किया जाएगा । रानी पद्मावती  को  अमर वीरांगना बता ते हुए उन्होंने अपने बयान में कहा है कि   मुगल अत्याचारी अलाउद्दीन ख़िलजी से अपने शील की रक्षा करते   हुए उन्होंने  स्वयं को जलती चिता में झोंक दिया  किन्तु उस दुष्ट के हाथ न आ सकी ।   चंद पैसों के लालच और ओछी पब्लिसिटी की चाह में ऐसी महान महिला को  बड़े ही घटिया तरीके से अलाउद्दीन की प्रेमिका बताया  जाना न सिर्फ भारतीय इत

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To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)