आप भारत के किसी भी मुसलमान से इजरायल के बारे में बात करें, करीब 99 फ़ीसदी मुसलमान इजरायल का नाम सुनते ही भड़क जाएंगे, ऐसा लगेगा कि इजरायल ने भारत के मुस्लिमों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर दिया है जबकि असलियत यह है कि इजरायल ने आज तक भारत के मुस्लिमों के साथ कोई भी जुल्म नहीं किया है। हर देशवासी यह सोचकर परेशान रहता है कि जब इजरायल ने भारत के मुस्लिमों का कुछ बिगाड़ा ही नहीं है तो मुसलमान लोग इजरायल से इतने नाराज क्यों रहते हैं, इजरायल का नाम सुनते ही भारत के मुसलमान भड़क क्यों जाते है।
उसका कारण है कि चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरे होने के बाबजूद अकेले इन देशों में से किसी भी द्वारा इजराइल पर किए किसी भी तरह के अत्याचार का इजराइल मुँह तोड़ जवाब देता है, और सरकार के किसी भी सख्त कदम का कोई विरोध इसलिए नहीं होता क्योकि वहां भारत की तरह छद्दमवाद नहीं है। सरकार के किसी भी कदम का आम नागरिक से लेकर समस्त विपक्ष सरकार के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़ा होता है। भारत की तरह वोट-बैंक और तुष्टिकरण नीति नहीं अपनाई जाती।
वहाँ देशहित सर्वोपरि मानना ही राष्ट्रधर्म है। भारत में देश को चाहे जितना नुकसान हो जाए, परवाह नहीं, लेकिन अपनी कुर्सी की खातिर तुष्टिकरण नहीं छोड़ेंगे। साम्प्रदायिकता फैलाते रहेंगे। भारत के वास्तविक इतिहास को उजागर करने वालों को फिरकापरस्त और साम्प्रदायिक तत्व घोषित कर अपमानित करते रहेंगे, यही है भारतीय नेताओं की राजनीति। भारतीय नेताओं को हिन्दू हित बात करने में साम्प्रदायिकता दिखती है। भारत के विरोधी देश पाकिस्तान जाकर भारत के ही विरुद्ध बयान देते है, यहाँ की सरकार के विरुद्ध बोलते हैं, काश ऐसी घिनौनी हरकत विश्व के किसी भी अन्य देश के नेताओं ने की होती, देश में कदम रखते ही उन पर कानूनी कार्यवाही हो गयी होती।
कश्मीर को ही ले, पिछली सरकारों के कार्यकाल में आर्मी को आतंकवादियों के विरुद्ध इतनी सख्त कार्यवाही करने की छूट नहीं थी, जितनी वर्तमान सरकार ने दी हुई है। उसका परिणाम विश्व के सामने है "पत्थरबाजों को कुछ न कहो, फौजी या किसी भी अन्य सुरक्षाकर्मी को पीटते है, पीटने दो, देश के विरुद्ध नारेबाजी करने वालों को कुछ न कहो, घुसपैठियों पर गोली मत चलाओ", क्या इसी का नाम राष्ट्रधर्म है?
लेकिन इजराइल में ऐसा नहीं होता। वहाँ देश के विरुद्ध काम करने वालों, देश पर आतंकी हमला करने वालों को घर में घुसकर मारने का राष्ट्रधर्म है। वहां सरकार का नेतृत्व किसी के भी हाथ हो, देश को किसी भी तरह की क्षति पहुँचाने वालों को बख्शा नहीं जाता।
मोदी के इजराइल दौरे से कांग्रेस दुःखी
मोदी के इजराइल दौरे की वजह से कांग्रेस की टेंशन बढ़ गयी है, आज कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने आधे अधूरे मन से मोदी के इजराइल दौरे का स्वागत किया साथ ही यह भी कहा कि इजराइल से दोस्ती के चक्कर में हमें फिलिस्तीन से रिश्ते कमजोर नहीं करने चाहिए. मतलब कांग्रेस इजराइल के बजाय फिलिस्तीन से दोस्ती करना चाहती है इसलिए उन्हें मोदी के इजराइल दौरे से जलन हो रही है।
आज कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने कहा कि फॉरेन अफेयर कमेटी का चेयरमैन होने के नाते मैं कहना चाहता हूँ कि भारत और फिलिस्तीन के रिश्ते परिपक्वता के स्तर पर पहुँच गए थे इसलिए प्रधानमंत्री मोदी को इजराइल दौरे से पहले फिलिस्तीन के बारे में सोचना चाहिए था लेकिन ऐसा लगता है कि फिलिस्तीन से रिश्ते के मूल्यों पर इजराइल से दोस्ती की जा रही है।
इजराइल और फिलिस्तीन ठीक वैसे ही एक दूसरे के दुश्मन हैं जैसे भारत और पाकिस्तान हैं, इजराइल यहूदी देश है जबकि फिलिस्तीन मुस्लिम देश है, कांग्रेस को मुस्लिम देश फिलिस्तीन से अधिक लगाव है इसलिए कांग्रेसी नेता फिलिस्तीन की चिंता करते हैं, मोदी के इजराइल दौरे से फिलिस्तीन टेंशन में होगा क्योंकि भारत और इजराइल सुरक्षा और व्यापार के क्षेत्र में कई बड़े समझौते कर सकते हैं, इससे दोनों देशों को फायदा होगा, अगर इजराइल भारत से दोस्ती करके ताकतवर बनेगा तो फिलिस्तीन को नुकसान होगा क्योंकि फिलिस्तीन हर हाल में इजराइल को मिटाना चाहता है।
कांग्रेस ने अपने दोस्त फिलिस्तीन की वजह से ही अब तक इजराइल का दौरा नहीं किया था जबकि इजराइल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दुनिया में सबसे आगे है, अगर इजराइल की टेक्नोलॉजी अब तक भारत में आ गयी होतीं तो भारत का काफी फायदा हो सकता था लेकिन पूर्व कांग्रेस सरकार ने फिलिस्तीन को नाराज करने के डर से अब तक कभी भी इजराइल से दोस्ती करने की कोशिश नहीं की लेकिन मोदी इस बाधा को तोड़कर आज दो दिवसीय दौरे पर इजराइल पहुँच गए। इजराइल वाले खुश हैं जबकि फिलिस्तान के लोग नाराज हैं, इसीलिए कांग्रेस भी दुखी है।
अब इसको कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति न कहा जाए तो क्या नाम दिया जाए? मोदी के इजराइल दौरे से पाकिस्तान को जो परेशानी हो रही है, उससे अधिक भारत में कांग्रेस और छद्दम धर्म-निरपेक्ष नेताओं को हो रही है। रातों की नींद हराम हो गयी है।
इजरायल के नाम से क्यों भड़क जाते हैं मुसलमान
दरअसल इजरायल एक यहूदी देश है और चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरा हुआ है, उसके पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम देश जॉर्डन, फिलिस्तीन, अम्मान, ईरान, ईरान, सीरिया, अरब, तुर्की, लेबनान रोजाना इजरायल को ख़त्म करने के सपने देखते हैं लेकिन इजरायल टेक्नोलॉजी और सुरक्षा के क्षेत्र में इतना ताकतवर है कि अकेला ही सभी देशों पर भारी पड़ता है, इजरायल भले ही एक छोटा सा देश है लेकिन वह 10 मुस्लिम देशों पर अकेला ही भारी पड़ता है, उसका सबसे बड़ा दुश्मन है फिलिस्तीन, फिलिस्तान अपने आतंकवादियों के जरिये हमेशा इजरायल पर अटैक करवाता रहता है लेकिन इजरायल एक के बदले 100 लोगों को ख़त्म कर देता है और फिलिस्तीन को तहस नहस कर देता है, मार खाने के बाद फिलिस्तीन खुद को पीड़ित दिखाता है इसलिए भारत के मुसलमान फिलिस्तीन को पीड़ित मानते हैं, एक मुस्लिम देश होने की वजह से भारत के मुसलमान भी फिलिस्तीन के साथ हैं इसलिए ये लोग इसलिए ये लोग इजरायल से नफरत करते है।
भारत के मुसलमानों को इसलिए भी इजरायल से होती है क्योंकि सभी देश इजरायल को ख़त्म करना चाहते हैं लेकिन सफल नहीं हो पा रहे हैं, मुस्लिम देश पीछे होते जा रहे हैं तो इजरायल आगे बढ़ता जा रहा है, इजरायल के पास ऐसे ऐसे हथियार हैं, ऐसी ऐसी मिसाइलें हैं जो आतंकियों को उनके घर में घुसकर ख़त्म कर देती हैं, अब यही मिसाइलें और हथियार इजरायल भारत को देने जा रहा है जिन्हें भारत कश्मीरी आतंकवादियों और पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल करेगा, अब भारत के मुस्लिम सोच रहे हैं कि इजरायल खुद तो मुस्लिम देशों को मारता है अब भारत को भी वे हथियार दे रहा है।
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